Friday, August 12, 2011

निगमानंद प्रकरण की सीबीआइ जांच की अधिसूचना जारी


मातृसदन के ब्रह्मलीन संत स्वामी निगमानंद प्रकरण की सीबीआइ जांच गुरुवार से विधिवत शुरु हो जाएगी। सीबीआइ ने बुधवार देर रात इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। सीबीआइ प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है। उधर, इसी मांग को लेकर आंदोलनरत मातृसदन के परमाध्यक्ष शिवानंद ने कहा कि फिलहाल संत पूर्णानंद का अनशन खत्म नहीं होगा। उनका कहना है कि जांच के प्रमाण मिलने पर गुरुवार को इस पर फैसला किया जाएगा। गंगा रक्षा और अवैध खनन को लेकर मातृसदन के संत निगमानंद की 13 जून को मौत हो गई थी। 19 फरवरी को अनशन पर बैठे निगमानंद को 68 दिन बाद 27 अप्रैल को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें हिमालयन अस्पताल में दाखिल कराया, वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। आरोप है कि जिला चिकित्सालय में उपचार के दौरान निगमानंद को जहर दिया गया। मातृसदन ने दिल्ली की एक प्रतिष्ठित पैथॉलाजी की रिपोर्ट का हवाला देकर सरकारी डाक्टरों को कठघरे में खड़ा किया है। मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए मातृसदन ने सीबीआइ जांच की मांग उठाई। इसी को लेकर मातृसदन के संत पूर्णानंद 12 दिनों से अनशन पर हैं।



Tuesday, August 9, 2011

तेल रिसाव से मुंबई के तटों पर आफत


मुंबई पिछले सप्ताह मुंबई के निकट डूबे एक अन्य जहाज एमवी रॉक से रिस रहे तेल के कारण एक बार मुंबई और आस पास के सागर तट को प्रदूषण का खतरा पैदा हो गया है। तटों पर डीजल और उससे मरे जीव इधर-उधर बिखरे दिखाई दे रहे हैं। समुद्री किनारों का जल प्रदषित होने से सैर सपाटा करने वालों की भी आफत आ गई है। प्रशासन ने मछुआरों को रिसाव वाले क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए न जाने की सलाह दी है। पिछले वर्ष सात अगस्त को मुंबई के निकट ही मर्चेट नेवी के दो जहाजों की टक्कर हो गई थी। उसके बाद रिसे करीब 400 मीट्रिक टन तेल ने काफी लंबे समुद्री किनारे को नुकसान पहुंचाया था। अब एमवी रॉक बीते गुरुवार को मुंबई से 20 समुद्री मील दूर डूब गया था। इंडोनेशिया से कोयला लेकर गुजरात जा रहे इस जहाज में 250 मीट्रिक टन ईधन के रूप में तेल के अलावा 50 मीट्रिक टन डीजल था। जहाज डूबने क बाद से ही जहाज की टंकी से तेल रिसाव की आशंका जाहिर की गई थी और तटरक्षक बल के जहाज समुद्रप्रहरी को संभावित प्रदूषण की निगरानी पर लगा दिया गया था। इस जहाज ने शनिवार को दोपहर बाद सूचना दी कि डूबे जहाज एमवी रॉक से 1.5 से से 2.0 मीट्रिक टन प्रति घंटा की रफ्तार से तेल का रिसाव हो रहा है। जहाज से रिस रहा तेल रविवार की सुबह तक डूबे जहाज से सात समुद्री मील के दायरे तक पहुंचा था। समाचार लिखे जाने तक इसके शहरी सीमा तक पहुंच जाने की सूचना मिल रही है। तेल रिसाव से हो रहे प्रदूषण के नियंत्रण के लिए तटरक्षक बल के एक और जहाज आइसीजीएस संकल्प को भी डूबे जहाज के क्षेत्रमें भेजा गया है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने प्रदूषण नियंGण बोर्ड को आसपास के समुद्री जल के नमूने इकट्ठा करने का निर्देश दिया है तथा मछुवारों को तेल रिसाव वाले क्षेत्रों से मछलियां नहीं पकड़ने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि बीते वर्ष सात अगस्त को ही मुंबई के निकट मर्चेट नेवी के दो जहाजों एमवी एमएससी चित्रा एवं एमवी खलीजिया-3 के बीच टक्कर हो गई थी। इसके कारण दोनों जहाजों से निकले करीब 400 मीट्रिक टन तेल ने मुंबई, अलीबाग, रायगढ़ क्षेत्र के समुद्री किनारों को बुरी तरह प्रभावित किया था। इस तेल रिसाव से 1273 हेक्टेअर में फैले मैनग्रोव को भी खासा नुकसान हुआ था। साथ ही, मछुआरों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ था। अब एमवी रॉक के तेल रिसाव से भी ऐसे ही प्रदूषण का खतरा दोहराए जाने की आशंका पैदा हो गई है। जहाज के कैरियर में स 1.5 टन से दो टन प्रति घंटे की औसत दर से तेल रिस रहा है। तेल जहाज के आसपास के करीब सात समुद्री मील क्षेत्र में फैल गया है। वहीं पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि जुहु-वर्सोवा तट पर फैला तेल एमवी रॉक का नहीं है। तेल 20 से 25 किमी के इलाके में फैला है।