Wednesday, February 15, 2012

यूरोपीय संघ के खिलाफ तने भारत-चीन


यह ऐसी लड़ाई है, जिसे भारत और चीन पूरी एकजुटता से लड़ रहे हैं। मंगलवार को भी दोनों देशों ने पर्यावरण परिवर्तन के नाम पर लिए गए यूरोपीय संघ के एकतरफा फैसलों के खिलाफ खुल कर आवाज उठाई। साथ ही कहा है कि इस लड़ाई में उन्हें अपनी भूमिका का पूरी तरह ख्याल है। बेसिक देशों (भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील) के पर्यावरण मंत्रियों की यहां चल रही बैठक में पारित प्रस्ताव के तहत विकसित देशों के खिलाफ संघर्ष को जारी रखने का खुला संकेत दिया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि पर्यावरण परिवर्तन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय युद्ध में विकासशील देशों अपनी भूमिका को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इन देशों ने अपने कदमों के जरिए लगातार इस बात को साबित भी किया है। पर्यावरण मंत्रियों ने कहा है कि विकसित देशों को भी अपनी एतिहासिक भूमिका को ध्यान में रखते हुए तुरंत सक्रियता दिखानी चाहिए। समानता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए अपनी जवाबदेही पूरी करनी चाहिए। साझा बयान के मुताबिक विभिन्न देशों की क्षमता और एतिहासिक भूमिका के मुताबिक इस काम में उनकी हिस्सेदारी तय होनी चाहिए। यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी पर्यावरण मंत्रियों ने यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार योजना की भी जोरदार निंदा की है। बैठक में भाग ले रहे चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग के उपाध्यक्ष शिया जेनहुआ ने इसे पूरी तरह एकतरफा कदम बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में इसका जोरदार विरोध होने के बावजूद यूरोपीय संघ ने इसे लागू कर दिया है। भारत की पर्यावरण राज्यमंत्री जयंती नटराजन ने भी उनके सुर से सुर मिलाते हुए कहा कि पर्यावरण परिवर्तन के नाम पर उठाया गया यह कदम पर्यावरण को ले कर अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। दो दिन चली इस बैठक की शुरुआत सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी। बेसिक देशों के पर्यावरण मंत्रियों की अगली बैठक इस साल की दूसरी तिमाही में होगी और इसकी मेजबानी दक्षिण अफ्रीका करेगा।

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