Saturday, May 19, 2012

भारतीय जंगलों पर मंडरा रहा खतरा


सरकार की ओर से जारी एक रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि जलवायु परिवर्तन से भारतीय जंगलों पर प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से उच्च हिमालयी क्षेत्र के जंगल खास तौर पर प्रभावित होंगे। इन इलाकों में अत्यधिक कटाई, मवेशियों द्वारा घास चरने जैसी अनेक चुनौतियां पहले से ही मौजूद हैं। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कंवेंशन को भेजे जाने वाले दूसरे राष्ट्रीय संदेश को पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने बुधवार को जारी किया। उन्होंने कहा कि जलवायु के प्रभावों का आकलन दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर 45 प्रतिशत वन्य क्षेत्रों में बदलाव हो सकते हैं। रिपोर्ट में सभी वन्य क्षेत्रों की स्थिति दर्शाने के लिए देश के डिजिटल वन्य नक्शे का इस्तेमाल किया गया है। यह नक्शा च्च्च रिजोल्यूशन वाला है। इसमें भारत के पूरे क्षेत्र को 1,65,000 ग्रिडों में बांटा गया है। इनमें से 35,899 वन ग्रिड के तौर पर चिह्नित हैं। संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत उसे जानकारी देने की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिहाज से पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक इन वन क्षेत्रों की सघनता च्च्च हिमालयी पट्टियों, मध्य भारत के हिस्सों, उत्तरी पश्चिमी घाटों एवं पूर्वी घाटों में ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर पर्वतीय जंगलों पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। इनमें हिमालय के शुष्क तापमान वाले और हिमालयी आर्द्र तापमान वाले जंगल शामिल हैं। इसके विपरीत पूर्वोत्तर के जंगलों, दक्षिणी पश्चिमी घाटों और पूर्वी भारत के वन्य क्षेत्रों के इस लिहाज से कम प्रभावित होने का अनुमान है। रिपोर्ट जारी करते हुए नटराजन ने कहा कि भारत वैश्विक समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के लिए प्रतिबद्ध है। भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनी तरफ से कदम उठा रहा है। हमें कई क्षेत्रों में सफलता भी मिली है। हालांकि इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता है कि पर्वतीय जंगलों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। इस संबंध में कदम उठाया जाना बेहद जरुरी हो गया है। ये जंगल पहले से ही कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। औद्योगिक प्रगति का दबाव भी इन जंगलों पर है। उन्होंने कहा कि हम मैदानी जंगलों के लिए भी योजना बनाएंगे।

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