धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी ने पृथ्वी में मानव प्रेरित ऐसे बदलावों के प्रति चेताया है जिनसे वापस लौटना मुश्किल होगा। संयुक्त राष्ट्र के वि मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने वर्ष 2011 को दसवां गर्म वर्ष बताते हुए कहा कि इस दौरान पाकिस्तान, थाईलैंड, म्यांमा और अमेरिका जैसे देशों पर मौसम की मार ज्यादा रही। संगठन ने 2011 में मौसम ओर जलवायु से जुड़े घटनाक्र म का आकलन पेश करते हुए कहा कि यह साल गर्म रहा और पृथ्वी तेजी ऐसी दिशा में बढ़ रही है जबकि औसत तापमान दो डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के दौरान जारी वैिक जलवायु स्थिति संबंधी रपट में संगठन ने अपने अनंतिम वक्तव्य में कहा कि पिछले 15 साल में 1997 से लेकर अब तक 13 साल अधिक गर्म रहे हैं। आर्कटिक समुद्र में बर्फ का स्तर 2011 में दूसरा सबसे कम रहा। संगठन के महासचिव मिशेल जारो ने कहा ‘हमारी भूमिका है नीति निर्माताओं की गतिविधियों के लिए वैज्ञानिक ज्ञान मुहैया कराना। हमारा विज्ञान ठोस है और यह स्पष्ट रूप से साबित करता है कि वि में तापमान बढ़ रहा है और ऐसा मानवीय गतिविधियों के कारण हो रहा है।’ जारो ने कहा ‘‘वायुमंडल में ग्रीनहाऊस गैस का जमाव नई उंचाई पर पहुंच गया है। ये तेजी से ऐसे स्तर पर पहुंच रहे हैं जबकि औसत वैिक तापमान में दो से 2.4 डिग्री सेंटीग्रेड का इजाफा हो सकता है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे हमारी पृथ्वी, जैवमंडल और महासागरों पर दूरगामी असर होगा और जिसे बाद में बदला नहीं जा सकेगा।’
रपट में कहा गया कि लगातार दूसरे साल पाकिस्तान में भयानक बाढ़ आई। इस साल सिंध प्रांत में सबसे अधिक बारिश हुई। पूर्वी एशिया में 2011 के दौरान मानसून का स्तर औसत से बहुत अधिक रहा और थाईलैंड व लाओस सबसे अधिक प्रभावित रहे। उत्तरी अमेरिकी क्षेत्र में अमेरिका का बड़ा हिस्सा विशेष तौर पर टेक्सास सूखे से प्रभावित रहा जहां 2011 के पहले 10 महीने में बारिश सामान्य से 56 फीसद कम रही।
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