दुनिया भर में वर्ष 1990 से 2005 के हर मिनट नौ हेक्टेयर जंगलों का सफाया किया गया है। वनों के खात्मे पर यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र ने जारी की है। दूसरे शब्दों में हर साल औसतन 49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले वनों की कटाई कई गई। पूरी धरती पर अब तीस फीसदी वन क्षेत्र ही बचा है, जो अपने आप में एक खतरे की घंटी है। वनों की तबाई और इसके चलते वन्य जीवों के विलुप्त होने के यह आंकड़े बहुत भी भयानक हैं। जबकि धरती पर्यावरण के असंतुलन की मार पहले ही झेल रही है। इसके चलते वायु प्रदूषण भी अपने चरम पर है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों के अनुसार वनों की यह कटाई इंसानों के आमतौर पर किये जाने वाले विकास कार्यो के नाम पर की है। इसके चलते 15 सालों (1990 से 2005) में पूरी दुनिया में 7 करोड़ 29 लाख हेक्टेयर में फैली वन संपदा पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। यानी पिछले 15 सालों में शहर बसाने और विकास के नाम पर हर मिनट 9.3 हेक्टेयर वन उजाड़ दिए गए। नए तथ्यों से यह भी पता चलता है कि वर्ष 1990 से 2000 के बीच वनों की कटाई का अनुपात प्रतिवर्ष 41 लाख हेक्टेयर प्रति वर्ष था जो वर्ष 2000 से 2005 के बीच बढ़कर 64 लाख हेक्टेयर हो गया। हालांकि इस सर्वे में यह भी कहा गया है कि वर्ष 1990 से 2005 के बीच वनों की कटाई उतनी भी नहीं हुई जितनी अधिक पहले मानी जा रही थी। चूंकि वन क्षेत्रों में विस्तार भी पहले की अपेक्षा अधिक पाया गया है। एफएओ के वन विभाग के सह निदेशक रोजस ब्रियेल्स के अनुसार पहले वनों का क्षरण दो-तिहाई अधिक माना गया था। इसे पहले 107.4 मिलियन हेक्टेयर बताया गया था। तब विश्व में वनों की कटाई प्रति वर्ष एक करोड़ 45 लाख हेक्टेयर मानी गई थी। कटिबंधीय इलाकों में ही अधिक वन काटे गए हैं। इसमें ज्यादातर वनों को काटकर वहां खेत बना दिए गए हैं। कृषि भूमि के रूप में ही अब इसे इस्तेमाल किए जाएगा। लेकिन वनों की कटाई से पर्यावरण में शुद्ध हवा का अभाव है। इतना ही नहीं ओजोन परत का बढ़ने में भी वनों की अंधाधुंध कटाई जिम्मेदार है। इससे वन से मिलने वाली वस्तुओं का भी खात्मा होता जा रहा है। इतना ही नहीं, लाखों की तादाद में वन्य जीव लुप्त हो रहे हैं। या फिर एकदम ही खत्म हो चुके हैं। रोजस ने बताया कि सैटेलाइट से मिले चित्रों के अनुसार वर्ष 2005 में दुनिया भर में केवल 3.69 अरब हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन फैले हुए हैं। दरअसल यह आंकड़ा बताता है कि अब पूरी धरती पर मौजूद जमीन में केवल 30 फीसदी हिस्सा ही वन क्षेत्र बचा है।
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