लगातार गंदगी की गिरफ्त में घिर रही गंगा अभी भी अपने मायके में पाक साफ है। प्राणदायक ऑक्सीजन गंगा की बूंद-बूंद में समाहित है। उत्तरकाशी से ऋषिकेश तक गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा करीब 80 फीसदी तक है। हालांकि पिछले 10 सालों में गंदगी ने पानी में घुलित ऑक्सीजन (डिजॉल्व ऑक्सीजन) की मात्रा को कुछ हद तक प्रभावित किया है, लेकिन इसका असर ऋषिकेश तक ना के बराबर है। हरिद्वार व आगे के हिस्सों में जरूर गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 10-20 फीसदी तक कम है। केंद्रीय जल आयोग ने विभिन्न स्थानों पर गंगा के पानी की जांच की तो जीवनदायिनी नदी की नई तस्वीर सामने आई। पता चला कि गोमुख, उत्तरकाशी से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 79 से 94 फीसदी तक पाई गई। जबकि हरिद्वार व आगे के हिस्सों में यह मात्रा 60-70 फीसदी के आसपास है। पिछले 10 साल की बात करें तो डिजॉल्व ऑक्सीजन का लेवल औसतन एक फीसदी तक घटा है। जल आयोग के अधिशासी अभियंता रितेष खट्टर ने बताया कि उत्तरकाशी से ऋषिकेश तक गंगा में प्रदूषण कम है। बहाव अधिक होने से पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा अधिक हो जाती है। ऋषिकेश के बाद यह परिस्थिति एकदम उलटी हो जाती हैं। ऑक्सीजन के फायदे जिस पानी में ऑक्सीजन का स्तर जितना अधिक होता है, वह पानी सेहत के लिए उतना ही बेहतर माना जाता है। पानी में घुलित ऑक्सीजन जलीय जीव-जंतुओं के लिए भी बेहद मायने रखती है। यदि पानी में ऑक्सीजन का स्तर 04 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो जाए तो मछलियां मरने लग जाती हैं। कैसे घटती-बढ़ती ऑक्सीजन वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि पानी में गंदगी होगी तो उसका ऑर्गेनिक (कार्बनिक) लेवल बढ़ जाएगा और ऑक्सीजन घटने लगती है। इसी तरह जब पानी में बहाव अधिक होता है तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन पानी में घुलने लगती है.
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