Friday, September 7, 2012

गंगा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर



ठ्ठजागरण संवाददाता, देहरादून उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति के हिस्से रोजाना जितना पानी आता है, उससे चार गुना ज्यादा हर रोज पूरे देश के सीवर से गंगा व उसकी सहायक नदियों में छोड़ा जा रहा है। हैरत की बात है कि अधिकतर स्थानों पर नदी के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर खतरे का निशान पार कर गया है। वहीं, डिजॉल्व ऑक्सीजन (घुलित ऑक्सीजन) का स्तर घट रहा है। सीवर के कुल पानी का महज आधा फीसद ही उत्तराखंड से नदी में प्रवाहित हो रहा है। नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) के गंगा में प्रदूषण बेस लाइन के अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। एनजीआरबीए गंगा स्वच्छता से पहले उसमें हो रहे विभिन्न तरह के प्रदूषण का बेस लाइन डाटा जुटा रही है। इसमें सीवर से लेकर ठोस और औद्योगिक कचरा समेत प्रदूषण के आठ प्रकार शामिल हैं। इन सबमें सीवर की स्थिति चौंकाने वाली है। एनजीआरबीए के मुताबिक गंगा व उसकी सहायक नदियों में रोजाना चार अरब लीटर सीवर का गंदा पानी प्रवाहित हो रहा है। उत्तराखंड में इस प्रवाह का स्तर चार लाख लीटर प्रतिदिन है, जो गंगा में जा रहे कुल गंदे पानी का आधा फीसद है। यानी गंगा उत्तराखंड तक तो महफूज है, लेकिन बाहर निकलते ही उसकी दशा खराब होती जा रही है। एनजीआरबीए के परियोजना निदेशक ए अग्रवाल ने बताया कि जल्द गंगा में अन्य तरह के प्रदूषण के बेस लाइन डाटा जुटाने के साथ ही राष्ट्रीय नदी को प्रदूषण मुक्त किया जाएगा। इसके लिए उत्तराखंड में 1600 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आदि के कार्य भी शुरू किए गए हैं।

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