Saturday, July 14, 2012

तीसरे चरण में मेट्रो के लिए कटेंगे 16000 पेड़

मेट्रो के विस्तार से दिल्ली के पर्यावरण को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। तीसरे चरण में मेट्रो की राह में आने वाले 16 हजार से अधिक पेड़ काटे जायेंगे। इन पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए मेट्रो प्रशासन दिल्ली सरकार पर दबाव बनाये हुए है। इन पेड़ों में वन क्षेत्र में स्थित 446 पेड़ ऐसे हैं जिनके कटान पर सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध है। वन विभाग आम जनता के हित की परियोजना के तर्क को ध्यान में रखते हुए बाकी पेड़ों के कटान की अनुमति देने को तैयार है लेकिन डीएमआरसी से ऐसी भूमि की मांग की है जहां नियमानुसार इन पेड़ों से दस गुना पेड़ लगाये जा सकें। अनुमति मिलने पर डीएमआरसी को प्रति पेड़ 28 हजार का भुगतान भी करना होगा। सरकार इन पेड़ों को काटने की अनुमति देने के लिए तैयार हो गई है। इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भी भेजा गया है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बताया कि पेड़ काटने की अनुमति दिए जाने के संबंध में डीएमआरसी का पत्र उन्हें प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने वन विभाग को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मेट्रो विस्तार के तीसरे चरण में तीन नये मेट्रो कोरीडोर कश्मीरी गेट से केंद्रीय सचिवालय, यमुना विहार से मुकुंदपुर तथा जनकपुरी से बोटेनिकल गार्डन तक बनाये जाने हैं। इन तीनों कोरीडोर की राह में लगभग 16 हजार ऐसे पेड़ आ रहे हैं जिन्हें काटना आवश्यक है। हालांकि दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने अपना सव्रे कर कुल 15838 पेड़ों की सूची वन विभाग को भेजी थी लेकिन वन विभाग ने जब मौके पर मुआयना किया तो डीएमआसी की सूची से लगभग एक हजार ज्यादा पेड़ मौके पर पाये गये हैं। इस प्रकार 16 हजार से अधिक पेड़ ऐसे हैं जिन्हें काटने की अनुमति देने के लिए मेट्रो प्रशासन दबाव बनाये हुए है। दिल्ली सरकार पेड़ों की कुर्बानी देने को सहमत हो गई है लेकिन अभी भी कई तकनीकी अड़चनें ऐसी हैं जिन्हें दूर किया जाना है। इस संबंध में मेट्रो प्रशासन ने एक पत्र दिल्ली सरकार को लिखा है। इन पेड़ों से होने वाली क्षति की प्रतिपूर्ति के लिए वन विभाग ने डीएमआरसी को ऐसी भूमि देने का आग्रह किया था जिस पर नियमानुसार इन पेड़ों के दस गुना डेढ़ लाख पेड़ लगाये जा सकें, क्योंकि एक पेड़ काटने पर दस पेड़ लगाने का नियम है। मेट्रो सूत्रों के अनुसार उक्त भूमि के लिए डीएमआरसी ने डीडीए से आग्रह किया था जिस पर डीडीए ने 70 हेक्टेयर भूमि तिलपट वैली में आवंटित की है। सूत्रों का कहना है कि उक्त भूमि पथरीली होने के कारण वन विभाग लेने को तैयार नहीं है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जितने पेड़ काटे जायेंगे उनके बदले प्रति पेड़ 28 हजार रुपये की दर से क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होगा। इस हिसाब से पेड़ों को काटने की अनुमति मिलने पर लगभग 50 करोड़ का भुगतान डीएमआरसी की ओर से वन विभाग को किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार तिलपट वैली में भूमि पथरीली होने के कारण अब वन विभाग दिल्ली की अन्य वनभूमि पर ही डेढ़ लाख पेड़ लगाने पर सहमत है। सूत्रों के अनुसार वन विभाग की यह भी शर्त है कि जितने भी पेड़ काटे जायेंगे उन पेड़ों की लकड़ी श्मशान घाट में अंतिम संस्कारों में प्रयोग के लिए नगर निगम के हवाले की जायेगी। मेट्रो प्रशासन के सूत्रों के अनुसार तीसरे चरण में बनाये जाने वाले सभी नये कोरीडोरों में सर्वाधिक 6338 पेड़ जनकपुरी-बोटेनिकल गार्डन मेट्रो लाइन की राह में हैं जबकि 6030 पेड़ यमुना विहार-मुकुंदपुर लाइन पर हैं तथा 1468 पेड़ केन्द्रीय सचिवालय- कशमीरीगेट लाइन पर हैं। केंद्रीय सचिवालय से कश्मीरीगेट लाइन पर सर्वाधिक 977 पेड़ आईटीओ, दिल्लीगेट, जामा मस्जिद व लालकिला तक क्षेत्र में हैं। इनमें से 572 पेड़ों को काटने की अनुमति वन विभाग ने दे तो दी है। संबंधित फाइल मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास गई है। 334 पेड़ कश्मीरी गेट के पास, 32 पेड़ मंडी हाऊस स्टेशन की शाफट के लिए, 13 पेड़ जनपथ स्टेशन बनाने के लिए तथा 112 पेड़ दिल्ली गेट पर यातायात डायवर्जन के लिए काटे जाने हैं। यमुना विहार-मुकुंदपुर मेट्रो लाइन की राह में आने वाले 6030 पेड़ों में सर्वाधिक 2307 पेड़ शालीमार बाग व भीकाजी के बीच हैं जबकि हजरत निजामुद्दीन से यमुनाविहार के बीच 2151 पेड़ हैं। इसके अलावा विनोद नगर डिपो बनाने के लिए 1758 पेड़ काटे जाने हैं जबकि भीकाजी से निजामुद्दीन तक 1340 पेड़ काटे जाने हैं। मुकुंदपुर से शालीमार के बीच कुल 376 पेड़ काटे जाने हैं। इनके काटने की अनुमति संबंधी फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी जा चुकी है। जनकपुरी से बोटेनिकल गार्डन कोरीडेार की राह में आने वाले लगभग साढ़े छह हजार पेड़ों में सर्वाधिक 2942 पेड़ आरकेपुरम व कालकाजी के बीच हैं जबकि 1386 पेड़ जनकपुरी से एनएच 8 के बीच हैं। कालकाजी से दिल्ली बार्डर के बीच 623 पेड़ व आरएसएस से आरकेपुरम के बीच 507 पेड़ हैं। इस लाइन पर वसंत विहार से आरकेपुरम के बीच यह कोरीडोर वन क्षेत्र से होकर जायेगा जहां लगभग 446 पेड़ वनभूमि पर स्थित हैं। वन भूमि पर लगे पेड़ों के कटान पर सर्वोच्च न्यायालय का प्रतिबंध है। सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद ही वन विभाग इनको काटने की अनुमति देगा। वन क्षेत्र की भूमि पर स्थित पेड़ों के अलावा बाकी सभी पेड़ों को काटने की अनुमति को लेकर अब कोई संशय नहीं है क्योंकि दिल्ली सरकार के एक आला अधिकारी ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की है। उनका कहना है कि मेट्रो अब दिल्ली की जरूरत है तथा सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने के लिए मेट्रो का विस्तार आवश्यक है। सरकार की सैद्धांतिक सहमति के बावजूद पेड़ काटने की अनुमति मिलने में हो रही देरी से डीएमआरसी प्रशासन बेचैन है क्योंकि इससे परियोजनाओं को पूरा करने में भी देरी हो सकती है।

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