Saturday, November 12, 2011

हरियाणा में पर्यावरण संरक्षण का काम सिर्फ 67 कंधों पर


हरियाणा में पर्यावरण संरक्षण के जिम्मेदार विभाग को खुद ही संरक्षण की दरकार है। पर्यावरण को स्वच्छ और तंदुरुस्त रखने की जिम्मेदारी निभाने वाले सरकारी तंत्र में मात्र 67 लोग काम कर रहे हैं। काम का बोझ इतना है कि ये पर्यावरण पर निगरानी तो दूर इन्हें शिकायतें लेने में ही पसीने छूट रहे हैं। पर्यावरण पर हर साल करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने के बावजूद सरकार अपने कमजोर तंत्र में जान नहीं ला पाई। सरकार के पास मौजूदा जो तंत्र वह भी पर्यावरण में निपुण नहीं है। प्रदेश पर्यावरण विभाग के 67 लोगों के स्टॉफ को 1550 बड़े उद्योग, 80 हजार मंझले व छोटे उद्योग, पांच पांवर प्लांट, दो हजार ईंट भट्ठे, यमुना, घाघर व मारकंडा नदी, स्टोन क्त्रेशर, अरावली की पहाडिय़ां, 21 नगर पालिका, 46 नगर परिषद तथा करीब छह हजार अस्पताल, डिस्पेंसरी, ब्लड बैंक, बैंक, खेतों में अवशेष तथा प्लास्टिक के कैरी बैग पर निगरानी रखनी पड़ रही है। ग्रीन अर्थ संस्था के अध्यक्ष नरेश भारद्वाज ने बताया कि 67 लोगों में से किसी के पास पर्यावरण विषय की डिग्री नहीं है। इस समय प्रदेश में तीन हजार युवाओं के पास पर्यावरण डिग्री है, लेकिन सभी बेकार घूम रहे हैं। भारद्वाज ने पर्यावरण मंत्री तथा चेयरमैन को पत्र लिखकर जिला प्रदूषण नियंत्रक तथा पर्यावरण सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की मांग उठाई है।

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