Saturday, June 30, 2012

2025 तक पानी को तरसेंगे मुंबई-दिल्ली


ठीक चौदह साल बाद दुनिया भर में देश की राजधानी दिल्ली और वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में नगरपालिका के पानी के लिए सबसे अधिक त्राहि-त्राहि मची होगी। इन दोनों महानगरों में ना सिर्फ पानी की सर्वाधिक मांग होगी अपितु ये सबसे अधिक पानी की किल्लत का शिकार होंगे। विश्व के एक प्रमुख संस्थान ने यह दावा अपनी ताजा रिपोर्ट में किया है। मैकेंजी ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार सन् 2025 तक भारत समेत दुनिया के बीस देशों के शहरों में पानी की भारी किल्लत होगी। इतना ही नहीं पानी के लिए तरसने वाले शहरों की इस सूची में मुंबई और दिल्ली सबसे ऊपर हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चौदह साल बाद ही इन सभी शहरों में नगरपालिका के पानी की करीब 80 अरब घन मीटर की मांग बढ़ जाएगी। जिसे पूरा कर पाना बहुत मुश्किल होगा। राजधानी दिल्ली अभी से ही पानी की भारी किल्लत से जूझ रही है। इसलिए दिल्ली और मुंबई में पानी के इस काले भविष्य के दावे को अनदेखा करना भी मुश्किल है। आने वाले सालों में भी ये दोनों शहर सप्लाई के पानी के लिए सबसे अधिक तरसते नजर आएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली और मुंबई के अलावा अन्य भारतीय शहरों में भी नगरपालिका के पानी की सप्लाई के हालात ठीक नहीं होंगे। बीस शहरों की सूची में अन्य तीन शहरों का भी नाम शामिल है। कोलकाता पानी की किल्लत के मामले में दुनिया में 7वें स्थान पर, पुणे 12वें और हैदराबाद 16वें स्थान पर होगा। दिल्ली और मुंबई समेत दुनिया के जिन दस शहरों में नगरपालिका के पानी की सबसे अधिक किल्लत होगी उनमें शंघाई, गुंगझाऊ, बीजिंग, ब्यूनस आयर्स, खारतुम, ढाका और इंस्ताबुल शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी आबादी और आय बढ़ने के साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में पानी की खपत और मांग बढ़ती है। चूंकि भारत और चीन में बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहा है इसलिए उपभोक्ताओं को बड़े पैमाने पर पानी की आवश्यकता पड़ेगी, जोकि उपलब्ध संसाधनों की क्षमता से परे हैं। मैकेंजी के अनुसार नगरपालिका के पानी की मांग 80 अरब घन मीटर तक बढ़ने वाले है जोकि न्यूयार्क में पानी की मौजूदा खपत का बीस गुना अधिक है। यह मात्रा बाकी दुनिया के मौजूदा स्तर से चालीस गुना अधिक है। अनुमान के अनुसार 2025 तक विश्व के बड़े शहरों में नगरपालिका के पानी की खपत 270 अरब घन मीटर प्रति वर्ष तक बढ़ जाएगी। ये खपत पूरी दुनिया में अभी करीब 190 अरब घन मीटर प्रति वर्ष ही है। रिपोर्ट में आगे ये भी कहा गया है कि नगरपालिकाओं को इसलिए अपने आधारभूत ढांचे को वृहद स्तर पड़ बढ़ाना होगा। जिसकी लागत 2025 तक 480 अरब अमेरिकी डॉलर होगी। इस व्यय में पानी के वितरण से लेकर दूषित जल के ट्रीटमेंट प्लांट तक शामिल है। पानी की इस भावी खपत में पचास फीसदी हिस्सेदारी अकेले पूर्वी और दक्षिणी एशिया की होगी।

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