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Wednesday, January 19, 2011

वन्य जीवों पर संकट

जैव विविधता के धनी उत्तराखंड में वन्य जीवों पर छाए संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे। वन्य जीवों की खालों और अंगों की अक्सर होने वाली बरामदगी से जाहिर है कि सूबेभर में फैले शिकारियों के नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने में वन महकमा अब तक नाकाम ही रहा है। वह भी तब जबकि इसके लिए भारी-भरकम सरकारी तामझाम उसके पास है। इससे उन दावों की कलई भी खुलकर सामने आ गई है, जो वन्य जीव सुरक्षा के मद्देनजर गाहे-बगाहे किए जाते रहे हैं। जो बातें सामने आ रही हैं, उनमें यह साफ है कि सूबे में दो तरह के शिकारी सक्रिय हैं। एक तो स्थानीय, जो वन्य जीवों का शिकार कर वक्त आने पर खाल अथवा अंगों को बेचते हैं। दूसरे वे शिकारी हैं जो बाहरी राज्यों से यहां आकर अपने कारनामों को अंजाम देकर निकल जाते हैं। अब तो अंतर्राष्ट्रीय माफिया की नजर भी यहां के वन्य जीवों विशेषकर, गुलदार, बाघ, हाथी, भालू जैसे जीवों पर गड़ी हुई है। इतना सब होने के बाद भी वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार महकमा शिकारियों पर नकेल कसने की दिशा में नाकाम ही साबित हुआ है। उसकी कार्रवाई अक्सर दूसरी संस्थाओं के साथ मिलकर खालों और अंगों की बरामदगी तक ही सीमित होकर रह गई है। जाहिर है अभी तक विभाग अपना ऐसा तंत्र विकसित नहीं कर पाया है, जिससे वन्य जीवों की तरफ कोई आंख उठाकर न देख सके। इसके लिए विभाग को अपने खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा, तभी उसे कुछ सफलता मिल सकती है। इसमें ग्रामीणों को विश्र्वास में लेकर कार्य करने की जरूरत है। अफसरों को समझना होगा कि सिर्फ मुख्यालय में बैठकर ही काम चलने वाला नहीं है, क्योंकि जंगल और वहां रहने वाले वन्य जीव यहां की धरोहर हैं।

कभी भी लाल हो सकती है रावी नदी

पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकार की उदासीनता से उपजा सीमा विवाद रावी नदी को कभी भी लाल कर सकता है। माधोपुर में दोनों राज्यों के बीच से गुजरने वाली इस नदी में हदबंदी की स्थायी बुर्जियां नहीं बनने से विवाद गहराता जा रहा है। इस वर्ष पंजाब की सीमा में खनन नीलामी के बाद नदी से पत्थर निकाले जाने पर जम्मू-कश्मीर की ओर विरोध हुआ। हालात इस कदर बिगड़े कि दोनों पक्षों ने बाजुएं तक चढ़ा लीं। पंजाब के खनन विभाग ने गत जून में जम्मू-कश्मीर के खनन विभाग को सूचित करने के बाद माधोपुर से लेकर कीड़ीया गड़माल तक रावी नदी पर 14 किमी सीमा पर अस्थायी पिलर लगा दिए। इसके बाद खनन की नीलामी की। ठेकेदारों के नदी से पत्थर निकलवाना शुरू करने पर जम्मू कश्मीर के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। उनकी मांग है कि रावी की स्थायी हदबंदी की जाए, क्योंकि पंजाब के क्रेशर संचालक उनके क्षेत्र में पत्थर, दड़ा आदि उठाते हैं। खनन विभाग के जीएम सर्वजीत सिंह ने कहा, रावी की निशानदेही की गई थी और हदबंदी के बाद हुए उक्त खड्डों की नीलामी की गई थी। उन्होंने कहा, फंड की कमी के कारण रावी की हदबंदी पर बुर्जी नहीं लगाई जा सकी थी। उन्होंने कहा, रावी के साथ अन्य स्थानों पर भी निशानदेही के बाद भी खड्डों की नीलामी की गई थी।