पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकार की उदासीनता से उपजा सीमा विवाद रावी नदी को कभी भी लाल कर सकता है। माधोपुर में दोनों राज्यों के बीच से गुजरने वाली इस नदी में हदबंदी की स्थायी बुर्जियां नहीं बनने से विवाद गहराता जा रहा है। इस वर्ष पंजाब की सीमा में खनन नीलामी के बाद नदी से पत्थर निकाले जाने पर जम्मू-कश्मीर की ओर विरोध हुआ। हालात इस कदर बिगड़े कि दोनों पक्षों ने बाजुएं तक चढ़ा लीं। पंजाब के खनन विभाग ने गत जून में जम्मू-कश्मीर के खनन विभाग को सूचित करने के बाद माधोपुर से लेकर कीड़ीया गड़माल तक रावी नदी पर 14 किमी सीमा पर अस्थायी पिलर लगा दिए। इसके बाद खनन की नीलामी की। ठेकेदारों के नदी से पत्थर निकलवाना शुरू करने पर जम्मू कश्मीर के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। उनकी मांग है कि रावी की स्थायी हदबंदी की जाए, क्योंकि पंजाब के क्रेशर संचालक उनके क्षेत्र में पत्थर, दड़ा आदि उठाते हैं। खनन विभाग के जीएम सर्वजीत सिंह ने कहा, रावी की निशानदेही की गई थी और हदबंदी के बाद हुए उक्त खड्डों की नीलामी की गई थी। उन्होंने कहा, फंड की कमी के कारण रावी की हदबंदी पर बुर्जी नहीं लगाई जा सकी थी। उन्होंने कहा, रावी के साथ अन्य स्थानों पर भी निशानदेही के बाद भी खड्डों की नीलामी की गई थी।
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