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Sunday, January 23, 2011

खेती पर ग्लोबल वार्मिंग का ग्रहण


दुनिया भर में कीटनाशक से मर रहीं मधुमक्खियां


विश्व भर में मधुमक्खियों की घटती संख्या का कारण अत्याधुनिक कीटनाशकों को माना जा रहा है। अमेरिका के कृषि विभाग के बी रिसर्च लैबोरेट्री द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक नए रसायनों से बने कीटनाशकों के बार-बार हो रहे इस्तेमाल से मधुमक्खियों की संख्या कम हो रही है। अमेरिका के विशेषज्ञ तथा इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर जेफ्री पेटिस ने बताया कि कीटनाशकों में पड़ने वाला नियो निकोटिनोइड मधुमक्खियों के लिए इतना हानिकारक होता है कि इसके संपर्क में आने से मधुमक्खियों को संक्रमण समेत कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं, जिनसे उनकी मौत हो जाती है। नियो निकोटिनोइड को 1990 के दशक में विकसित किया गया था। कीटनाशकों का इस्तेमाल बगीचों में होता है। जब मधुमक्खियां फूलों से रस लेती हैं, तो इन कीटनाशकों के संपर्क में आ जाती हैं। डेली मेल के अनुसार यह रिपोर्ट अब तक कहीं छापी नहीं गई है, लेकिन द स्ट्रेंज डिसपियरेंस ऑफ बीज नामक एक डाक्युमेंट्री में इस बारे में चर्चा की गई है। कीटों के लिए काम करने वाले धमार्थ संगठन बग लाइफ का कहना है कि फ्रांस में किए गए पूर्व अध्ययनों में कीटनाशकों और खत्म होती मधुमक्खियों के बीच संबंध पाया गया था। संगठन के निदेशक मैट शार्डलो ने कहा कि यह अमेरिकी अध्ययन भी यही दिखाता है कि मधुमक्खियों में एक स्तर पर नुकसानदायक तत्वों को नहीं ढूंढ़ा जा सकता है। जबकि यह उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। हालांकि नियो निकोटिनोइड के जरिए कीटनाशक बनाने वाली कंपनी बेयर का कहना है कि उनके उत्पाद मधुमक्खियों के लिए नुकसानदायी नहीं है।

जहरीला नहीं हुआ है पंजाब का पानी


पंजाब का भूजल लोगों के स्वास्थ्य और खेती के लिहाज से सुरक्षित हैं। पानी में यूरेनियम की मात्रा मानकों के अनुरूप है। यूरेनियम विवाद के बाद भूजल की जांच के लिए बनाई गई विभिन्न विभागों की कोर कमेटी के सर्वे में यह बात कही गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से कोर कमेटी में शामिल डा. दीपक भाटिया ने बताया कि वाटर एवं सेनीटेशन विभाग से पानी के जितने नमूनों की रिपोर्ट आई हैं, उनमें यूरेनियम की मात्रा मानकों के भीतर ही है। इंटीग्रेटिड डीजीजिज सर्वीलेंस प्रोजेक्ट के नोडल ऑफिसर भाटिया ने कहा, जल एवं सेनीटेशन विभाग ने पानी के 235 नमूने भरे थे। विभाग की रिपोर्ट में पाया गया है कि पानी में यूरेनियम की मात्रा लेवल से कम है। हालांकि विभाग द्वारा राज्य के विभिन्न हिस्सों से पानी के सौ और सैंपल यूरेनियम की जांच के लिए भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर, मुबई में भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। ज्ञात हो, पानी में यूरेनियम की मात्रा को लेकर गत वर्ष राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों की कोर कमेटी बनाई थी। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जल एवं सेनीटेशन, पंजाब कृषि विवि, गुरु नानक देव विवि, पीजीआई, पंजाब विवि व पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल थे। प्रत्येक विभाग को पानी में यूरेनियम की मात्रा का पता लगाने के लिए अलग अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई थी। फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग के पास जल एवं सेनीटेशन विभाग ने ही रिपोर्ट जमा नहीं की। गौर हो कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा भी कुछ समय पहले पानी में यूरेनियम की मात्रा को लेकर सर्वे किया गया था, इसमें भी विभाग ने पानी में यूरेनियम न होने की पुष्टि की थी।