विश्व भर में मधुमक्खियों की घटती संख्या का कारण अत्याधुनिक कीटनाशकों को माना जा रहा है। अमेरिका के कृषि विभाग के बी रिसर्च लैबोरेट्री द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक नए रसायनों से बने कीटनाशकों के बार-बार हो रहे इस्तेमाल से मधुमक्खियों की संख्या कम हो रही है। अमेरिका के विशेषज्ञ तथा इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर जेफ्री पेटिस ने बताया कि कीटनाशकों में पड़ने वाला नियो निकोटिनोइड मधुमक्खियों के लिए इतना हानिकारक होता है कि इसके संपर्क में आने से मधुमक्खियों को संक्रमण समेत कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं, जिनसे उनकी मौत हो जाती है। नियो निकोटिनोइड को 1990 के दशक में विकसित किया गया था। कीटनाशकों का इस्तेमाल बगीचों में होता है। जब मधुमक्खियां फूलों से रस लेती हैं, तो इन कीटनाशकों के संपर्क में आ जाती हैं। डेली मेल के अनुसार यह रिपोर्ट अब तक कहीं छापी नहीं गई है, लेकिन द स्ट्रेंज डिसपियरेंस ऑफ बीज नामक एक डाक्युमेंट्री में इस बारे में चर्चा की गई है। कीटों के लिए काम करने वाले धमार्थ संगठन बग लाइफ का कहना है कि फ्रांस में किए गए पूर्व अध्ययनों में कीटनाशकों और खत्म होती मधुमक्खियों के बीच संबंध पाया गया था। संगठन के निदेशक मैट शार्डलो ने कहा कि यह अमेरिकी अध्ययन भी यही दिखाता है कि मधुमक्खियों में एक स्तर पर नुकसानदायक तत्वों को नहीं ढूंढ़ा जा सकता है। जबकि यह उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। हालांकि नियो निकोटिनोइड के जरिए कीटनाशक बनाने वाली कंपनी बेयर का कहना है कि उनके उत्पाद मधुमक्खियों के लिए नुकसानदायी नहीं है।
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