Thursday, December 30, 2010

कन्नौज से वाराणसी तक गंगा सबसे गंदी

नई दिल्ली गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को कृत संकल्प केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) चलाने के लिए राज्य सरकारों को निर्बाध बिजली आपूर्ति का निर्देश दिया जाए ताकि उनमें 24 घंटे काम हो सके। सरकार ने कहा है कि गंगा की सबसे खराब स्थिति कन्नौज से वाराणसी के बीच है जहां का पानी नहाने लायक भी नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा है कि एसटीपी के रखरखाव एवं संचालन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। बिजली की नियमित आपूर्ति न होने से ज्यादातर एसटीपी और पंपिंग स्टेशन काम नहीं कर पाते हैं। उन्हें 24 घंटे चलाने के लिए राज्य सरकारों को निर्बाध बिजली देने का आदेश दिया जाए। केंद्र सरकार ने निर्बाध बिजली आपूर्ति की जरूरत के बाबत कोर्ट द्वारा पूछे गए सवाल पर अपने हलफनामे में यह बात कही है। केंद्र का कहना है कि रिवर बेसिन योजना के तहत बनाई गई संपत्तियों जैसे एसटीपी और पंपिंग स्टेशन के रखरखाव एवं संचालन में आने वाले खर्च को योजना आयोग से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 70 और 30 के अनुपात में बांटने का अनुरोध किया गया है। खर्च का यह बंटवारा पांच वर्षो के लिए होगा। तीन साल में इसकी समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा एसटीपी का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों के बीच त्रिपक्षीय समझौते होंगे। समझौते की शर्ते और प्रारूप भी सरकार ने कोर्ट के सामने पेश किया है। केंद्र सरकार ने गंगा में प्रदूषण और वर्तमान चुनौतियों का विस्तृत ब्योरा पेश किया है। इसमें केंद्र ने स्वीकार किया है कि 73 शहरों में 1055 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) की सीवेज शोधन क्षमता विकसित करने में 900 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन गंगा में प्रदूषण बढ़ता रहा। अपेक्षित नतीजे न पाने के कई कारण भी गिनाए गए हैं जिनमें योजनाओं का धीमा क्रियान्वयन, एसटीपी का क्षमता से कम उपयोग और क्रियान्वयन में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो का ढीला रवैया शामिल है। राष्ट्रीय गंगा नदी प्राधिकरण की स्थापना के बाद जो लक्ष्य निर्धारित हुए हैं उनमें यहां सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों, शराब कंपनियों, पेपर मिलों और चमड़ा मिलों के प्रदूषण पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा. 

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