Tuesday, May 17, 2011

हिमालय के 75 फीसदी ग्लेशियर पिघल रहे



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार हिमालय के 75 फीसदी ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अगर यही रफ्तार रही तो बर्फ से ढंकी यह पर्वत श्रंखला आने वाले कुछ सालों में बर्फ विहीन हो जाएगी। इसरो ने सीसोर्ससैट-1 उपग्रह से प्राप्त हिमालय के ताजा चित्रों के आधार पर कहा है कि हमेशा हिम से ढंका रहने वाला हिमालय अब बर्फ हीन होता जा रहा है। उसके मुताबिक बीते पंद्रह सालों में 3.75 किलोमीटर की बर्फ पिघल चुकी है। सन 1989 से लेकर वर्ष 2004 के सैटेलाइट चित्रों के आधार पर यह आकंलन किया गया है। इस हिसाब से इस हिम श्रृंखला की 75 फीसदी बर्फ पिघलती जा रही है। एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के अनुसार स्पेस अप्लीकेशन सेंटर के अहमदाबाद कार्यालय में तैनात जीयो एंड प्लानेटरी साइंस ग्रुप (एमपीएसजी) के ग्रुप डायरेक्टर डॉ. अजय ने बताया कि यह एक बेचैन कर देनेवाली स्थिति है चूंकि आप देख सकते हैं कि 75 फीसदी ग्लेशियर पिघलकर नदी और झरने का रूप ले चुके हैं। सिर्फ आठ फीसदी ग्लेशियर दृढ और 17 फीसदी ग्लेशियर ही स्थिर हैं। डॉ. अजय का कहना है कि अभी भी कई ग्लेशियर बहुत ही अच्छी हालत में हैं। और यह ग्लेशियर कभी भी गायब नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि इन ग्लेशियरों के खत्म होते जाने की वजह सिर्फ ग्लोबल वार्मिग नहीं है। हालांकि यह प्रोजेक्ट हिमालय के ग्लेशियर तेजी से गायब होने के मिथ को धता बताने के लिए शुरू किया गया था लेकिन इसके नतीजे वाकई काफी परेशान करने वाले हैं। इसरो के इस अभियान को विज्ञान, पर्यावरण और वन मंत्रालय ने मंजूरी दी थी। ताकि संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय रपट का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। उल्लेखनीय है कि पिछले साल ही संयुक्त राष्ट्र की एक पर्यावरण रिपोर्ट में भी हिमालय के ग्लेशियर गायब होने की बात कही गई थी। इसरो के साथ मिलकर पचास विशेषज्ञों और 14 संगठनों ने 2190 ग्लेशियरों का अध्ययन किया। यह ग्लेशियर सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के मुहाने पर स्थित हैं। इसके अलावा यह इनमें से कई ग्लेशियर चीन, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान में भी हैं। उल्लेखनीय है कि आईपीसीसी ने भी 2007 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2035 तक हिमालय के सभी ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिग के चलते खत्म हो जाएंगे।
हर साल सिकुड़ रहे आइसलैंड के ग्लेशियर : पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले 200 सालों में ग्लोबल वार्मिग के चलते आइसलैंड के सभी ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे। आइसलैंड के तीन सबसे बड़े ग्लेशियर होफ्जुकुल, लौंगोकुल और वैटनोजोकुल खतरे में हैं। यह समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर हैं




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