Saturday, May 7, 2011

पर्यावरण की कीमत पर समझौते भी करने पड़े


पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने बड़ी साफगोई से स्वीकार किया है कि कई बार उन्हें पर्यावरण संबंधी नियमों के उल्लंघन के मामले में समझौते के लिए बाध्य होना पड़ा है। आदर्श हाउसिंग सोसायटी को गिराने के पर्यावरण मंत्रालय के आदेश का जिक्र करते हुए रमेश ने कहा कि हमें एक संकेत देना होगा कि कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रमेश ने कहा कि वह अवैध इमारतों के नियमितीकरण के एकदम खिलाफ हैं। यहां एक कार्यक्रम में रमेश ने कहा कि मुंबई में आदर्श सोसायटी को गिराने के फैसले का मकसद भ्रष्टाचारियों को कठोर संकेत देना है। उन्होंने कहा कि अवैध कामकाज का नियमन अनोखी भारतीय विशेषता है। यह ढर्रा बन गया है कि पहले आप कानून बनाओ और फिर उसे तोड़ो। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि उनके पास आदर्श को पूरी तरह गिराने की सिफारिश ही विकल्प था। हालांकि उन्होंने कहा कि आदर्श के सिलसिले में मामला अदालत में है और वह ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे। रमेश ने स्वीकार किया कि दुर्भाग्य से कई बार उन्हें भी नियमन करने को बाध्य होना पड़ता है, क्योंकि उस समय विकल्प नहीं होता खासकर जब कोई रिफाइनरी बनाई गई होती है या इस्पात संयंत्र बनाया जाता है। रमेश ने पर्यावरण संबंधी उल्लंघन के कुछ मामलों में खुद को दोषी माना। रमेश के मुताबिक कुछ मौकों पर उन्होंने समझौता नहीं किया जबकि कुछ मौकों पर उन्हें झुकना पड़ा। बंदरगाहों, सीमेंट फैक्टरियों और विद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य में कानूनों के उल्लंघन का जिक्र करते हुए रमेश ने कहा कि ऐसे मामलों में बहुत खर्च होता है और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होता है। हालांकि रमेश ने कहा कि कुछ मौकों पर यह संकेत देना होता है कि कानून का मतलब कानून होता है और उन्हें तोड़ा नहीं जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर कानून तोड़ना एक परंपरा का रूप ले लेती है।


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