लगातार बढ़ रहे जल प्रदूषण, बड़ी मात्रा में मछली पकड़ने और अन्य मानव जनित समस्याओं के कारण दुनिया के पांचों महासागरों की स्थिति अनुमान से भी अधिक तेजी से बिगड़ रही है। अगर हालात इसीतरह बिगड़ते रहे थे यकीन मानिये इन महासागरों का अंतकाल का चरण शुरू हो गया है। चूंकि महासागरों के अंदर जीवन विलुप्ति की ओर बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया है। वैज्ञानिकों के एक वरिष्ठ पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, कई कारण एक साथ मिलकर महासागरों की सेहत खराब कर रहे हैं। पैनल ने अपनी यह रिपोर्ट मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र को सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिग और प्रदूषण बढ़ाने के कई कारक एक साथ मिलकर स्थिति को बहुत ज्यादा खतरनाक बना रहे हैं। इन कारकों में समुद्र से बड़ी मात्रा में मछली पकड़ने के अलावा कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पानी की अम्लीयता बढ़ना, समुद्री जीवों के प्राकृतिक निवास का नष्ट होना और समुद्री बर्फ का पिघलना शामिल है। जल स्रोतों के पास उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण पानी में खतरनाक रसायन घुल रहे हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर में वैश्विक समुद्री कार्यक्रमों के निदेशक कार्ल लंुडिन का कहना है, ऐसा एक साथ नहीं हुआ है, बल्कि चीजें कई स्तर पर खराब हो रही हैं। इन्हीं के दल ने महासागर की स्थिति को लेकर यह रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा कि हम इन परेशानियों के कारण कई समुद्री जीवों को हमेशा के लिए खो रहे हैं। उन्होंने हिंद महासागर में मौजूद एक हजार साल पुराने प्रवाल (यानी मूंगे की चट्टानें) नष्ट होने को अविश्वसनीय बताया। साथ ही कहा कि अगर हम ऐसे ही अपने समुद्री जीवों को खोते रहे तो महज एक पीढ़ी के भीतर ही प्रवालों की जाति पूरी तरह खत्म हो जाएगी। पहले ही महासागरों में फलने-फूलने वाले कई जीव-जंतु और पौधे विलुप्त हो चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ओव हेग गुल्डबर्ग के अनुसार जिस रफ्तार से हिंद महासागर में प्रवाल खत्म हो रहे हैं आर्टिक महासागर की बर्फ की परत भी आशंका से कहीं अधिक तेजी से पिघल रही है।
No comments:
Post a Comment