Friday, June 10, 2011

इस साल और बढ़ेगा बिजली संकट


ईधन की कमी और पर्यावरण संबंधी अड़चनों के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान देश के बिजली उत्पादन में दस फीसदी की कमी आएगी। वर्ष 2010-11 में बिजली की कमी 8.5 प्रतिशत तक थी। ऐसे में वर्ष 2011-12 बिजली संकट और बढ़ेगा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने कहा कि वर्ष 2011-12 के दौरान देश में बिजली की सामान्य समय में 10.3 फीसदी और व्यस्त समय में 12.9 प्रतिशत तक की कमी रहेगी। इस अनुमान के हिसाब से चालू वित्त वर्ष में बिजली की आपूर्ति मांग की तुलना में 9,636.7 करोड़ यूनिट कम रहेगी। वर्ष 2010-11 में बिजली की मांग 93,374.1 करोड़ यूनिट रहेगी, जबकि आपूर्ति 83,737.4 करोड़ यूनिट पर सिमटने की संभावना है। सीईए ने कहा कि देश के सभी क्षेत्रों को बिजली की कमी से जूझना होगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र में बिजली कमी 0.3 प्रतिशत की रहेगी, वहीं पश्चिमी क्षेत्र में इसमें 11 प्रतिशत की कमी रहेगी। सीईए के अधिकारियों का कहना है कि बेहतर आर्थिक वृद्धि दर की वजह से देश में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। कुछ परियोजनाओं में देरी की वजह से बिजली की उपलब्धता कम है। सीईए के अनुसार, बीते वित्त वर्ष के दौरान बिजली की जरूरत में 3.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इसी तरह व्यस्त समय में बिजली की मांग 6.5 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में 2.6 फीसदी बढ़ गई। चालू वित्त वर्ष के लिए बिजली का सकल उत्पादन लक्ष्य 85,500 करोड़ यूनिट का है। हालांकि सरकार को 11वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि यानी 10 महीने में 16,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन की उम्मीद है। मौजूदा अनुमान के मुताबिक सरकार मार्च, 2012 तक 52,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली ही जोड़ने में कामयाब हो पाएगी, जो संशोधित 62,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन के लक्ष्य से कम है। बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस अतिरिक्त उत्पादन में 2,000 मेगावाट परमाणु बिजली शामिल है। अधिकारी के मुताबिक बिजली मंत्रालय ने 11वीं योजना अवधि में मई तक कुल बिजली उत्पादन में 36,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली जोड़ी है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 11वीं योजना के दौरान 78,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा था, जिसे मध्यावधि समीक्षा में योजना आयोग ने घटाकर 62,000 मेगावाट कर दिया था। हालांकि मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, लेकिन कोयले की आपूर्ति में बाधा और पर्यावरण मंजूरी में देरी के कारण कई तापीय बिजली परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। कुल बिजली उत्पादन में सर्वाधिक हिस्सेदारी तापीय परियोजनाओं की ही है। मंत्रालय ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष 2012-17) के दौरान एक लाख मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

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