Wednesday, June 29, 2011

2015 तक साफ होगी यमुना


यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने की तैयारी सरकार द्वारा फिर से शुरू की गई है। इस बार यह जिम्मा जल बोर्ड को मिला है। जल बोर्ड दावा कर रहा है कि यमुना को तीन-चार वर्षो में कम से कम नहाने लायक तो बना ही लिया जाएगा। बोर्ड के दावे के मुताबिक यमुना में प्रदूषण की वर्तमान मात्रा प्रति लीटर 40 मिलीग्राम बायलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) से घटाकर 12 मिग्रा प्रति लीटर बीओडी तक लाया जाएगा। हालांकि राजधानी में 20 मिग्रा प्रति लीटर बीओडी को स्वीकार्य बताया गया है। इसके लिए राजधानी के सभी नालों को इंटरसेप्टर परियोजना के तहत एक-दूसरे से जोड़कर सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों तक पहुंचाया जाएगा। ट्रीटमेंट प्लांट में शोधन के बाद ही इन्हें यमुना में छोड़ा जाएगा। केंद्र व राज्य सरकार की यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की तमाम परियोजनाओं के बाद दिल्ली जलबोर्ड ने इस बाबत खम ठोंका है। बोर्ड के सीईओ रमेश नेगी के मुताबिक राजधानी में प्रतिदिन लगभग छह सौ एमजीडी (मिलियन गैलन डेली) अपशिष्ट जल निकलता है। इसमें से तीन सौ से 350 एमजीडी अवजल का विभिन्न सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों में शोधन कर लिया जाता है। लगभग दो सौ एमजीडी अवजल विभिन्न नालों के माध्यम से सीधे यमुना तक पहुंच जाता है। नेगी के मुताबिक प्रस्तावित सीवर इंटरसेप्टर परियोजना के तहत इस दो सौ एमजीडी अवजल को यमुना में गिरने से पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए सीधे यमुना में गिरने वाले नालों को एक-दूसरे से जोड़कर ट्रीटमेंट प्लांटों तक पहुंचाया जाएगा। परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को दी गई है। 1404 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होने वाली यह परियोजना अगस्त के अंत तक शुरू हो जाएगी। कार्य छह समूहों में बांट कर किया जाएगा। वजीराबाद से लेकर ओखला बैराज के मध्य के नालों को जोड़ने का काम डेढ़ वर्ष से लेकर साढ़े तीन वर्ष के भीतर संपन्न कर लिया जाएगा। इस प्रकार 2015 तक यमुना में प्रदूषण की मात्रा को प्रति लीटर 12 मिग्रा बीओडी तक लाने की कोशिश की जाएगी। केंद्र व प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने परियोजना की सहमति दे दी है।


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