प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ की सीमा के अंदर वन्य प्राणियों के स्वच्छंद विचरण के लिए 14 वनग्रामों के 2500 परिवारों को विस्थापित किया जा रहा है। विस्थापित होने वाले हर परिवार को केंद्र सरकार की तरफ से दस-दस लाख रुपये की राशि दी जाएगी। टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले 14 वनग्रामों को खाली कराने के बाद वहां वन्य प्राणियों के स्वच्छंद विचरण के लिए घास के मैदान बनाए जाएंगे। वनग्रामों के 2500 परिवारों के विस्थापन के लिए पार्क प्रबंधन ने केंद्र सरकार को 250 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का प्रस्ताव तैयार करके भेजा है। जिसमें से केवल अभी 20 करोड़ रुपये ही मिले हैं। 14 वनग्रामों में से ग्राम कुमरवाह के 42 परिवारों को 4.2 करोड़ रुपये की राशि देकर अन्यत्र विस्थापित करने के साथ ही ग्राम कल्लवाह के सौ परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया बरसात पूर्व पूर्ण हो जाएगी। 2012 में मगधा ग्राम को विस्थापित किए जाने की संभावना है। शेष 11 वनग्राम आने वाले दो-तीन सालों में पूर्णत: विस्थापित होंगे। जिनमें गढ़पुरी, मिल्ली, महेनवाह, बड़वाही, बगैहा, बमेरा, कसेरु, सेजवाही, गांगीताल, कौठिया और कुसता शामिल हैं। विस्थापन का उद्देश्य उद्यान के भीतरी इलाकों से इंसानी बसावट को हटाकर वन्य प्राणियों को स्वच्छंद विचरण के लिए अधिक से अधिक स्थान उपलब्ध कराना है। उद्यान क्षेत्र में रहने वाले ग्रामों में विकास की योजनाएं क्रियान्वित नहीं होतीं। इसके अलावा इंसानों और उनके पालतू जानवरों पर वन्य प्राणियों के हमलों का खतरा हमेशा बना रहता है|
No comments:
Post a Comment