फुकुशिमा में परमाणु रिएक्टर से निकल रहे विकिरण पर काबू पाने में असफल जापान सरकार ने मंगलवार को कहा कि देश परमाणु खतरे के उच्चतम बिंदु पर है। यहां की जमीन में प्लूटोनियम मिल चुका है, जबकि उच्च रेडियोधर्मी पदार्थ संयंत्र से निकल कर पानी में मिल रहा है। जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान ने संसद में कहा, वर्तमान भूकंप, सुनामी और परमाणु विकिरण कई दशकों में जापान के लिए सबसे बड़ा संकट है। उन्होंने कहा, परमाणु संयंत्रों की स्थिति का अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। ऐसा हो सकता है कि छह रिएक्टर वाले फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को अंतत: समाप्त कर दिया जाए। मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो एडानो ने मिट्टी में प्लूटोनियम पाए जाने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा, स्थिति काफी चिंताजनक है। हालांकि संयंत्र का संचालन करने वाली टोक्यो इलेक्टि्रक पावर कंपनी (टेपको) ने सोमवार को कहा कि मिट्टी में पाए गए प्लूटोनियम की मात्रा से मानव स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं है। टेपको के उपाध्यक्ष सकाइ म्यूतो ने कहा, प्लूटोनियम कितनी दूर तक फैल चुका है इसकी जांच करना सरल नहीं है। रिएक्टर नंबर दो के बाहर पानी में भी विकिरण का स्तर 1000 मिली सिएवटर््स प्रति घंटा (सिएवटर््स विकिरण मापने की इकाई को कहते है) से अधिक पाया गया है। इस मात्रा के चार घंटे या उससे अधिक समय तक मानव शरीर के संपर्क में रहने से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी आने लगती है और एक महीने में व्यकित की मौत हो सकती है। रविवार को रिएक्टर नंबर दो में विकिरण की सबसे उच्च स्तर का पता चला है। हवा में विकिरण का स्तर 200-300 मिली सिएवटर््स पाया गया। पानी में विकिरण का स्तर सामान्य से एक लाख गुना अधिक पाया गया है। जापान के परमाणु एवं औधोगिक सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता हीदेहीको नीशियामा ने कहा, रिएक्टर नंबर एक का तापमान 320 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंच गया है। एजेंसी ने कहा, फिलहाल टेपको रिएक्टर से निकलने वाले पानी को समुद्र या दूसरी जगहों पर जाने से रोकने के प्रयास में जुटा है। एडानो ने कहा, हमें रिएक्टर को ठंडा करने और प्रदूषित पानी को बहने से रोकने में काफी परेशानी हो रहा है|
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