4 मई 1987 कल्पक्कम में परमाणु रिएक्टर में ईंधन भरते वक्त दुर्घटना हुई थी और इससे रिएक्टर प्रभावित हुआ था।
10 सितम्बर 1989 तारापुर में रेडियोधर्मी आयोडिन का रिसाव हो गया था। यह सामान्य स्तर से कहीं अधिक था।
13 मई 1992 तारापुर के रिएक्टर में एक पाइप में खराबी आने से 12 क्यूरी रेडियोधर्मिता का उत्सर्जन हुआ था।
31 मार्च 1993 नरौरा के रिएक्टर में विंड टरबाइन के पंखे आपस में टकराए और आग लग गई थी। इसके बाद यह बिजलीघर साल भर तक बंद रहा।
13 मई 1994 कैगा में निर्माण कार्य के दौरान ही रिएक्टर का एक आंतरिक गुंबद गिर गया था जिससे विकिरण का खतरा पैदा हुआ।
2 फरवरी 1995 रावतभाटा के परमाणु बिजलीघर से रेडियोधर्मी हीलियम और भारी जल रिसकर राणा प्रताप सागर नदी में पहुंच गया था।
26 दिसम्बर 2004 सुनामी की वजह से कल्पक्कम के परमाणु बिजलीघर में पानी भर गया था। इसके बाद इसे बंद करना पड़ा था।
25 नवम्बर 2009 कैगा में अचानक परमाणु बिजलीघर के कर्मचारी बीमार पड़ने लगे। जांच के दौरान पता चला कि 92 लोगों के मूत्र में ट्रीटीयम था। इन सभी लोगों ने पानी ठंढा करने वाले कूलर से पानी पी लिया था। बाद में पता चला कि किसी कर्मचारी ने इस कूलर में भारी जल भर दिया था।
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