जापान के हादसे से जो संदेश स्पष्ट तौर पर आ रहे हैं, उन्हें भारत में समझा जाना बेहद जरूरी है। भारत को नए परमाणु बिजलीघर का काम रोकना चाहिए और पुराने परमाणु बिजलीघरों को बंद करना चाहिए
जापान की प्राकृतिक आपदा से हम सब दुखी हैं और पूरी दुनिया की सहानुभूति जापान के साथ है। जापान के लोग बड़े बहादुर, मेधावी और परिश्रमी हैं। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान पर परमाणु बम गिराए गए थे और इसके बाद भी इस देश ने खुद को फिर से खड़ा किया और एक चौथाई सदी में ही दुनिया की प्रमुख आर्थिक ताकत बनकर उभरा। दुनिया में जापान ऐसा इकलौता देश है जिसने परमाणु बम की मार झेली है। 1945 में वहां बम गिराए गए थे। पर अहम सवाल यह है कि आणविक तबाही को देखने के बाद आखिर क्यों जापान परमाणु ऊर्जा पर निर्भर हुआ? जापान में कुल 11 परमाणु बिजली घर हैं। इनमें से ही एक है फुकुशिमा का परमाणु बिजली घर। जहां की हालत बद से बदतर होती दिख रही है। परमाणु ऊर्जा के प्रति जापान के आकर्षण को देखते हुए भारत जैसे कई देशों ने परमाणु बिजलीघर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए। दावा किया गया कि परमाणु ऊर्जा सुरक्षित है। जापान में आए भूकम्प ने न सिर्फ फुकुशिमा के परमाणु बिजलीघर को हिलाया बल्कि जापान के परमाणु सुरक्षा के दावे को भी इसने झुठला दिया। अभी अमेरिका, जापान, रूस और पश्चिमी यूरोप में जिस तरह का उद्योग केंद्रित विकास मॉडल अपनाया जा रहा है, वह सरकार की आंखों पर पट्टी बांधने का काम कर रहा है। नीति निर्धारकों के लिए मानवता का कोई मोल नहीं रह गया है बल्कि उन्हें किसी भी कीमत पर विकास चाहिए। भारत सरकार भी इसी रास्ते पर चल रही है। लोगों के विरोध के बावजूद भारत सरकार ने अमेरिका, रूस और जापान के साथ परमाणु करार किया है ताकि देश भर में सात परमाणु बिजलीघर स्थापित किए जा सकें। पर जापान के हादसे से जो संदेश स्पष्ट तौर पर निकल रहा है, उसे भारत में समझा जाना बेहद जरूरी है। भारत को नए परमाणु बिजलीघर का काम रोकना चाहिए और पुराने परमाणु बिजलीघरों को बंद करना चाहिए। इनमें से कुछ भूकम्प सम्भावित क्षेत्र में हैं। उदाहरण के तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बिजलीघर महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के जैतापुर में लगाने की योजना है। इसकी क्षमता 10,000 मेगावॉट होगी। यह इलाका भूकम्प सम्भावित क्षेत्र में है। देश अभी लातूर के भूकम्प को भूला नहीं है और जैतापुर और लातूर की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है। यह स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि सरकार तथाकथित विकास की आड़ में कुछ भी करने को तैयार है। ऐसे में देश की जनता को जापान के परमाणु हादसे के संकेत को समझना होगा और किसी भी नए परमाणु बिजलीघर को लगाने से सरकार को रोकना होगा।
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