कृष्णा नदी के अतिरिक्त जल बंटवारे पर गठित जल विवाद न्यायाधिकरण ने बुधवार को ऐसा फैसला सुनाया, जिससे चार दशक पुराना विवाद समाप्त हो गया है। इस फैसले से आंध्र प्रदेश को जहां सबसे अधिक जल मिलेगा वहीं कर्नाटक को अलमाटी बांध की ऊंचाई बढ़ाकर ज्यादा पानी संग्रह का अधिकार मिल जाएगा। महाराष्ट्र को भी कृष्णा नदी से अब तक जितना जल मिल रहा था, उससे कहीं अधिक मिलेगा। आने वाले दिनों में अन्य नदियों के जल विवादोंके लिए न्यायाधिकरण का यह फैसला एक नजीर बन सकता है। न्यायमूर्ति बृजेश कुमार की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण के मुताबिक, आंध्र को अब कृष्णा नदी से 1001 टीएमसी (थाउजैंड मिलियन क्यूबिक) फीट, कर्नाटक को 911 टीएमसी, महाराष्ट्र को 666 टीएमसी जल मिलेगा। पहले आंध्र को 811 , कर्नाटक को 734 और महाराष्ट्र को 585 टीएमसी फीट पानी मिलता था। न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कर्नाटक के अलमाटी बांध की ऊंचाई 519 से बढ़ाकर 524 मीटर करके ज्यादा पानी संग्रह की छूट दे दी है। जल बंटवारे के इस फार्मूले से वह संतुष्ट है। न्यायाधिकरण के फैसले पर अमल के लिए केंद्र अगले तीन माह बाद कृष्णा जल क्रियान्वयन बोर्ड का गठन करेगी। कुमार ने कहा, कि जल बंटवारे पर किसी तरह की आपत्ति होने पर संबंधित राज्य समीक्षा तीन माह के भीतर कर सकते हैं। फैसला 31 मई 2050 तक वैध माना जाएगा। न्यायाधिकरण का गठन सुप्रीमकोर्ट की अनुमति से किया गया है, इसलिए इसके फैसले को किसी अन्य अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। जल बंटवारे के इस फार्मूले से आंध्र प्रदेश की श्रीसेलम, नागार्जुन सागर, जेरुला और कृष्णा बैराज जैसी सिंचाई परियोजनाओं में जान आ जाएगी। वहीं, महाराष्ट्र ने फैसले पर आपत्ति दर्ज कराई है।
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