Sunday, January 23, 2011

..दिल्ली सबसे धूल भरी


हवा में बढ़ रही धूल और धुएं के बीच सरकार को दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कानपुर समेत देश के छह प्रमुख शहरों के फेफड़ों की फिक्र सता रही है। ताजा जांच ने जहां दिल्ली और कानपुर की हवा को धूल कणों के लिहाज से सबसे प्रदूषित पाया है, वहीं मुंबई और बंगलूर के वातावरण में नाइट्रोजन ऑक्साइड का इजाफा परेशानी का सबब बन रहा है। इन शहरों की हवा का हाल सुधारने में लगा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय इसके लिए एक विस्तृत कार्य योजना पर विचार कर रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ताजा पड़ताल बताती है कि हवा में धूलकणों यानी पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) की बढ़ती तादाद बड़ी चिंता का सबब है। वहीं नाइट्रोजन डायऑक्साइड का बढ़ता ग्राफ भी परेशानी का सबब है। छह शहरों की विस्तृत मॉनिटरिंग रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली और कानपुर की हवा में धूलकणों की मात्रा बंगलूर, मुंबई, पुणे और चेन्नई के मुकाबले कहीं ज्यादा है। बीते आधे दशक के आंकड़े बताते हैं कि 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर धूलकणों के राष्ट्रीय मानक के मुकाबले कानपुर की हवा में औसतन तीन गुना रही है। वहीं राजधानी दिल्ली में यह आंकड़ा करीब दोगुना है। पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी गई ताजा रिपोर्ट में 2007 को आधार वर्ष मानते हुए अगले पांच सालों के लिए कमर कसने का खाका भी तैयार किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि बंगलूर, पुणे, चेन्नई में बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण और वाहनों की बढ़ती तादाद के कारण बढ़ रहे प्रदूषण पर लगाम लगाना प्राथमिकता है। वहीं राजधानी दिल्ली में सड़क की धूल, बिजली उत्पादन इकाइयों से उठता धुंआ, उद्योग और वाहनों का प्रदूषण बड़ी चिंता का सबब है। इसके अलावा मुंबई में उद्योग और वाहन प्रदूषण पर रोकथाम के उपायों को प्राथमिकता क्षेत्र में रखा गया है। इस कड़ी में हर एक शहर के लिए विशेष उपायों का भी रोडमैप बनाया गया है। मिसाल के तौर पर बंगलूर में सड़क से उठने वाली धूल के खिलाफ रोड-टू-वॉल फुटपाथ निर्माण को कारगर उपाय मानते हुए इसके लिए बंगलूर विकास प्राधिकरण से जरूरी उपाय करने को कहा गया है। वहीं दिल्ली में वाहनों के धुंए पर लगाम के लिए परिवहन नियंत्रण, विशेष कर सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहन जैसे उपाय गिनाए गए हैं।


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