पानी की किल्लत से जूझ रहे गंगा किनारे बसे शहरों के लिए अच्छी खबर है। वैज्ञानिकों का दावा है कि गंगा के दोनों ओर गहराई में अथाह भूगर्भ जल भंडार मौजूद है। यह दावा हरिद्वार से बलिया तक किए गए अध्ययन के आधार पर किया गया है। यह निष्कर्ष इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भूजल के ऐसे भंडारों से भविष्य की पेयजल मांग को आसानी से पूरा किया जा सकेगा। इतना ही नहीं शहरों के लिए पेयजल नियोजन की भावी दिशा भी तय करने में मदद मिलेगी। अध्ययन के अनुसार इन भूजल Fोतों को गंगा बेसिन के गर्भ में दबी भूगर्भीय जल धाराओं (एक्यूफर्स) के रूप में जाना जाता है। भूवैज्ञानिक बीबी त्रिवेदी, बीसी जोशी, अरुण कुमार व अबरार हुसैन की टीम ने यह अध्ययन किया है। भूवैज्ञानिक त्रिवेदी बताते हैं कि वर्षा के दौरान गंगा व सहायक नदियों के बाढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इन एक्यूफर्स की प्राकृतिक रीचार्जिग होती रहती है। उन्होंने बताया कि भविष्य में पेयजल की चुनौतियां बढ़ेंगी। इस गहरी जल स्त्रोत को पेयजल का ठोस विकल्प माना जा सकता है। इससे गंगा किनारे बसे 30 जिलों में पानी की किल्लत दूर की जा सकेगी। एक ओर गंगा का बहाव सामान्य दिनों में काफी कम रह गया है वहीं, शहरों में ऊपरी भूजल स्ट्रेटा के बेलगाम दोहन से जल स्तर नीचे चला गया है। रिपोर्ट में ट्रांस गंगा (गंगा नदी का बायां हिस्सा) के गाजियाबाद (गजरौला) से बलिया (राजापुर इकौना) तथा सिस गंगा (गंगा नदी का दायां हिस्सा) क्षेत्र के मेरठ (हस्तिनापुर) से मिर्जापुर (चंदिका) तक स्थानों पर भूगर्भीय स्ट्रेटा का विस्तृत आकलन किया गया है।
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