धार्मिक नगरी हरिद्वार में गंगा के इको सिस्टम को मांसाहारी मछलियों के चलते खतरा पैदा हो गया है। बाहर से आईं थाई मांगुर जैसी मांसाहारी मछलियां तीर्थनगरी की स्थानीय मछलियों को अपना निवाला बना रही हैं। इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ गया है। वन्यजीव विशेषज्ञ भी इस बात से हैरान हैं कि खुलेआम गंगा में इस तरह मछलियों को डाला जा रहा है, लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु आस्था के लिए जिंदा मछलियां लाकर यहां नदी में छोड़ देते हैं। इनमें से कई मछलियां मांसाहारी होती हैं, जो यहां की स्थानीय मछलियों को खा जाती हैं। कई बार बाहर से आने वाली मछलियां यहां के पर्यावरणीय माहौल के अनुकूल नहीं हो पाती और मर जाती हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसी मछलियां यहां पर मृत भी पाई गई। कुल मिलाकर प्रशासन की नाक के नीचे यह हो रहा है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। जंतु एवं पर्यावरण विशेषज्ञ डा.बीडी जोशी के अनुसार गंगा में इस तरह बाहर से मांसाहारी मछलियों को छोड़ने से इको सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है। इस पर रोक लगानी चाहिए। उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीडी डालाकोटी का कहना है कि गंगा में बाहर की मछलियों को छोड़ना गलत है। अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं आई है। आगे इस तरह की कोई घटना होती है तो कार्रवाई की जाएगी। हरिद्वार के एसडीएम हरवीर सिंह का कहना है कि गंगा में मछलियां डालने के लिए प्रशासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली जाती।
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