वरुणा के जल में प्रदूषण की बात तो आम है लेकिन अब इसके दोनों किनारों पर भूजल में फ्लोराइड का भी आक्रमण हो चुका है। यह इस क्षेत्र में रहने वालों के लिए खतरे की घंटी है। काशी हिंदूविश्वविद्यालय के एक शोध में फ्लोराइड की मौजूदगी के सबूत मिले हैं
अब इस क्षेत्र में फ्लोराइड के और विस्तार का अध्ययन किया जाना है।विवि के रसायन अभियांत्रिकी विभाग के डॉ. पीके मिश्रा के अनुसार इस क्षेत्र में भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी ने चिंतित कर दिया है। संभवत: वरुणा के प्रदूषण और मात्रा में कमी ने फ्लोराइड के प्रसार को बल दिया है। उन्होंने बताया कि वरुणा के दोनों किनारों पर फुलवरिया से सलारपुर के बीच 30 स्थानों से सैंपल लिये गए। लैब में इनकी जांच की गई तो दो मिली ग्राम प्रति लीटर से अधिक के हिसाब से यह फ्लोराइड मिला है। उन्होंने बताया कि लगभग तीन सौ फीट नीचे से पानी का सैंपल लिया गया था। उन्होंने बताया कि कोटवा, फुलवरिया,पुरानापुल, सलारपुर, रुस्तमपुर, लेढ़ूपुर आदि से सैंपल लिये गए थे।
अब इसके विस्तार व कारण की जानकारी के लिए पहल की जाएगी।दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थानीय शाखा के पदाधिकारी डॉ. अरविंद सिंह कहते हैं कि फ्लोराइड स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इससे दांत तो खराब होते ही है हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं। रक्त संबंधी बीमारियों की भी आशंका बनी रहती है। यह कैंसर का जनक भी हो सकता है।
अब इस क्षेत्र में फ्लोराइड के और विस्तार का अध्ययन किया जाना है।विवि के रसायन अभियांत्रिकी विभाग के डॉ. पीके मिश्रा के अनुसार इस क्षेत्र में भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी ने चिंतित कर दिया है। संभवत: वरुणा के प्रदूषण और मात्रा में कमी ने फ्लोराइड के प्रसार को बल दिया है। उन्होंने बताया कि वरुणा के दोनों किनारों पर फुलवरिया से सलारपुर के बीच 30 स्थानों से सैंपल लिये गए। लैब में इनकी जांच की गई तो दो मिली ग्राम प्रति लीटर से अधिक के हिसाब से यह फ्लोराइड मिला है। उन्होंने बताया कि लगभग तीन सौ फीट नीचे से पानी का सैंपल लिया गया था। उन्होंने बताया कि कोटवा, फुलवरिया,पुरानापुल, सलारपुर, रुस्तमपुर, लेढ़ूपुर आदि से सैंपल लिये गए थे।
अब इसके विस्तार व कारण की जानकारी के लिए पहल की जाएगी।दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थानीय शाखा के पदाधिकारी डॉ. अरविंद सिंह कहते हैं कि फ्लोराइड स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इससे दांत तो खराब होते ही है हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं। रक्त संबंधी बीमारियों की भी आशंका बनी रहती है। यह कैंसर का जनक भी हो सकता है।
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