कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण ने गुरुवार को इस नदी के अधिकतम जल का हिस्सा आंध्र प्रदेश को आवंटित किया, जिसपर इस फैसले से प्रभावित होने वाले राज्यों ने मिश्रित प्रतिक्रिया जाहिर की है। न्यायाधिकरण ने नदी का 1001 टीएमसी फुट जल आंध्रप्रदेश को, 911 कर्नाटक को और 666 महाराष्ट्र को आवंटित किया। वर्ष 2004 में गठित किए गए इस न्यायाधिरकण ने 43 साल पुराने इस विवाद का हल करने की कोशिश करते हुए जल की निर्भरता पर इन तीनों राज्यों के लिए कुछ शर्ते भी लगाई हैं। गौरतलब है कि अब तक आंध्रप्रदेश को 811 टीएमसी फुट, कर्नाटक को 734 टीएमसी फुट और महाराष्ट्र को 585 टीएमसी फुट जल मिलता था। गुरुवार के फैसले से प्रभावित होने वाले तीनों ही राज्यों इस फैसले में कुछ सकारात्मक पहलू पाए हैं। साथ ही, उन्होंने इस फैसले के कुछ हिस्से को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है। कर्नाटक ने अलमाटी बांध के मुद्दे पर इस फैसले को अपने रूख की पुष्टि करने वाला बताते हुए इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया, जबकि महाराष्ट्र ने कहा है कि वह 100 टीएएमसी फुट अधिक जल प्राप्त कर खुश है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इस फैसले के जरिए कर्नाटक में अलमाटी बांध की ऊंचाई को बढ़ाने की इजाजत दिया जाना चिंता का विषय है। हालांकि इस फैसले से राज्य के लिए कुछ सकरात्मक पहलू भी जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र ने इस बांध की ऊंचाई बढ़ाने का इस आधार पर विरोध किया था कि इससे कृष्णा के किनारे स्थित सांगली, सतारा और कोल्हापुर जैसे शहरों में बाढ़ आ सकती है। उधर, आंध्र प्रदेश सरकार ने भी मिश्रित प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि यह फैसला आंशिक रूप से फायदेमंद और आंशिक रूप से नुकसानदेह है। वहीं राज्य के विपक्ष ने इस मुद्दे पर राज्य के हितों के बचाव करने में राज्य सरकार पर नाकामी का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की। न्यायमूर्ति बृजेश कुमार की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने कर्नाटक के अलमाटी बांध में और अधिक जल संग्रह को भी अनुमति दे दी। जल के बंटवारे के लिए केंद्र सरकार तीन महीने बाद कृष्णा वाटर इंप्लीमेंटेशन बोर्ड का गठन करेगी। इस आदेश के साथ ही बांध के 524 मीटर ऊंचाई का उपयोग कृष्णा नदी के जल का संग्रह करने में किया जाएगा। इससे पहले बांध की ऊंचाई 519 मीटर थी। न्यायमूर्ति कुमार ने कहा, जल बंटवारे को लेकर जो भी राज्य समीक्षा या मांग आवेदन दायर करना चाहता है वह तीन महीने के अंदर ऐसा कर सकता है।
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