वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर केंद्र और राज्य सरकार भले ही लाख दावे करे लेकिन हकीकत में उल्टी गंगा बहती दिख रही है। झारखंड में हालात इस कदर खराब हैं कि शासन ने विभिन्न उद्यानों और अभ्यारण्य में पल रहे जानवरों के भोजन के लिए पिछले नौ महीनों से धन का आवंटन ही नहीं किया है। वन विभाग के अधिकारी बाजार से उधार मांग कर जानवरों का पेट भर रहे हैं। राज्य के चार स्थानों पर हिरण, हाथी, मगरमच्छ व स्निफर डॉग पाले गये हैं लेकिन मार्च महीने के बाद से शासन ने उनके भोजन मद की राशि ही आवंटित नहीं की है। यह हास्यास्पद है कि सरकार जंगल क्षेत्र में रहने वाले लोगों के विकास के लिए तो करोड़ों की राशि खर्च कर रही है, उसी वनक्षेत्र के बेजुबान व संरक्षित जानवरों के लिए कोई चिंता नहीं है। सूत्रों के मुताबिक दलमा के मकलुकोचा चेक नाके पर डियर पार्क बनाया गया है जिसमें 28 हिरण रखे गये हैं। मकुलाकोचा में ही तीन हाथी भी हैं जबकि मानगो वन परिसर में एक स्निफर डॉग है। इसके अलावा रांची के कालामाटी में हिरण, खूंटी के मूटा में हिरण व मगरमच्छ तथा हजारीबाग में हिरण रखे गये हैं। वन विभाग के अधिकारी जानवरों का पेट भरने के लिए पिछले नौ महीने से बाजार से उधार खाने का बंदोबस्त कर रहे हैं। वन विभाग ने हाल ही में बड़े पैमाने पर अधिकारियों का तबादला किया है। ऐसे में नये अधिकारियों को दुकानदार शायद ही उधार दें।
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