Friday, January 14, 2011

चीनी शहरों को जला रही तेजाबी बारिश!

दुनिया में कोयले के सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन को अपने तेजी से विकास की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। सल्फर ऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन से उसके 258 शहरों में अम्ल वर्षा हो रही है जिसका असर लोगों के स्वास्थ्य, इमारतों और प्राकृतिक नजारों वाले स्थलों पर पड़ रहा है। फुच्च्यान प्रांत के दक्षिणपूर्वी हिस्से श्यामेन में मौसम के बदलते स्वरूप का अध्ययन दर्शाता है कि शहर में लगातार अम्ल वर्षा हो रही है। श्यामेन के पर्यावरण निगरानी स्टेशन में मुख्य अभियन्ता झुआंग माझान के अनुसार, सरकारी आंकडे बताते हैं कि पिछले साल के पूर्वा‌र्द्ध में पहली वर्षा अम्लीय थी। उन्होंने सरकारी चायना डेली को बताया कि अम्ल वर्षा से इमारतों में पीलापन दिखाई देने लगा है जिससे शहर कम आकर्षक हो गया है। अम्ल वर्षा से दुनिया की सबसे बड़ी बुद्ध की मूर्ति लासेन जायंट बुद्धा पर भी असर पड़ा है। दक्षिण पश्चिम चीन में यह मूर्ति 1000 साल से अधिक समय से शान से खड़ी है। दैनिक के अनुसार, इसकी नाक का रंग काला पड़ने लगा है, उसके बाल सिर से गिरने लगे हैं और उसका लाल शरीर स्लेटी रंग में तब्दील होने लगा है। श्यामेन ऐसा अकेला शहर नहीं है। चीन के पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय के वार्षिक आंकडे बताते हैं कि ऐसे 258 शहर और काउंटी हैं जहां 2009 में अम्ल वर्षा दर्ज की गई। दैनिक ने तसिंघ्वा विश्वविद्यालय के सहयोग से मंत्रालय द्वारा कराए गए अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि अम्ल वर्षा की चपेट में आने वाले इलाकों का दायरा बढ़ता जा रहा है।


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