केंद्र व राज्य सरकारें गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भले ही अभियान चला कर सालाना करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में महज तीन सौ रुपए में गंगा की निर्मल धारा में शव प्रवाहित करने की आजादी है। धड़ल्ले से लोग बिना जले शव को गंगा में बहा रहे हैं। इससे गंगाजल तो प्रदूषित होकर जहरीला हो ही रहा है, साथ ही निर्मल गंगा के दावों की भी हवा निकल रही है। कन्नौज का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व होने की वजह से गंगा के महादेवी घाट पर कन्नौज के अलावा औरैया, इटावा, हरदोई, सीतापुर आदि जिलों के लोग शव का दाह संस्कार करने आते हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे होते हैं, जो कि सीधे शव को गंगा की निर्मल धारा में प्रवाहित कर देते हैं। इन लोगों के सहयोगी बनते हैं वहां के नाविक। वह महज 300 रुपए से 400 रुपए के लालच में नाव पर शव रखकर सीधे गंगा की धारा में बहा देते हैं। गत दिवस ही औरैया जिले के विधूना थानाक्षेत्र के सवात कटरा गांव के लोग बीमारी से मरी नव विवाहिता का शव लेकर श्मशान घाट पर पहुंचे। वहां मौजूद हरदोई जिले के छिबरामऊ गांव निवासी नाव चालक सोनू ने गंगा में शव बहाने के लिए चार सौ रुपए मांगे। बाद में मोल-भाव होते-होते तीन सौ रुपए में सौदा तय हो गया। इन लोगों ने शव को नाव में लादकर बीच गंगा में शव को प्रवाहित कर दिया। ऐसे ही कई लोग जले-अधजले शव और उनके साथ लाई गई लकडि़यां, कपड़े आदि सामग्री गंगा में प्रवाहित करते हैं। दबी जुबान से एक नाव चालक ने बताया कि अकेले नाव वाले ही पैसे नहीं लेते हैं, बल्कि पुलिस सिपाहियों को भी हिस्सा दिया जाता है।
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