पंजाब में जीवनदायिनी रही घग्गर नदी आज लोगों को जानलेवा बीमारियां बांट रही है। प्रदूषण के चलते मैली हुई नदी के पानी का सेवन करने से किनारे बसे 32 गांवों में लोग विभिन्न रोगों की चपेट में हैं। घग्गर के जहरीले पानी ने किसी की लड़की और दामाद को निगल लिया तो किसी की नातिन अपाहिज पैदा हुई। बच्चे और बड़े मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग हो रहे हैं। पटियाला जिले के शुतराना विस क्षेत्र के अंतर्गत मरोड़ी समेत कई गांवों में हालात बेहद खराब हैं। मरोड़ी के सरपंच शेर सिंह के अनुसार, गांव की खेती घग्गर पर ज्यादा निर्भर है, लेकिन सैकड़ों छोटी-बड़ी फैक्टि्रयों का जहरीले पानी घग्गर में छोडे़ जाने से इसका सीधा प्रभाव नदी किनारे बसे गांवों पर पड़ रहा है। क्षेत्रवासी सुखजीत कौर ने बताया कि उसके चार में से तीन लड़के मंदबुद्धि हैं। पति भी भयंकर बीमारी का शिकार होकर इस दुनिया से चला गया। भान कौर कहती है, घग्गर के जहरीले पानी ने उसकी लड़की और दामाद को निगल लिया। नातिन भी अपाहिज पैदा हुई। सुरिंदर सिंह की आठ वर्षीय बेटी गुरप्रीत कौर, सुखविंदर सिंह की बारह वर्षीय लड़की चरनजीत कौर, वीर कौर की 20 वर्षीय लड़की गरुप्रीत कौर, मुख्तयार सिंह की 12 वर्षीय लड़की सुखविंदर कौर, सुरजीत सिंह का लड़का जसवंत सिंह, फूला राम का लड़का कर्म सिंह जन्म से ही मंदबुद्धि व विकलांग हैं। मरोड़ी गांव के मोटू ने बताया कि चार साल पहले उसने घग्गर नदी पार की थी। उसके बाद से ही उसका पैर सूखता जा रहा है। वह अपाहिज हो चुका है। एक निवासी दलेर सिंह का पैर चर्म रोग की चपेट में है। मांग सिंह के दोनों पैरों में सूजन निरंतर बढ़ती जा रही है। स्वर्ण सिंह के दोनों बेटे मेजर सिंह और गुरजंट सिंह मंदबुद्धि हैं। सूखा सिंह की पांच वर्षीय बेटी मनप्रीत के दोनों पांव जन्म से ही खराब हैं। इस गांव मे 50 से अधिक लोग विकलांग हैं। नाईवाला, सपरहेड़ी छन्ना, आसमानपुर, रतनहेड़ी, सौंधोवाला, मरदेड़ी, घरमेड़ी, गुरदयालपुरा, बादशाहपुर, जलालपुर, अरनेटू, करतारपुरा, मोपिया, शुतराना, रसोली, चिचड़वाला गांवों में भी ऐसे ही मरीज पाए जा रहे हैं। सरपंच शेर सिंह के मुताबिक, गत तीन सालों में उसके गांव के 50 से ज्यादा लोगों की कई बीमारियों से मौत हो चुकी है। गांव का हरेक व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीडि़त है। कोई शुगर, तो कोई चर्म रोग से ग्रस्त है। कैंसर के भी कई मरीज हैं, जो संभवतया घग्गर के जहरीले पानी की देन है। गांव में पैदा हो रहे अधिकतर बच्चे मंदबुद्धि और विकलांग हैं। समाना सिविल अस्पताल के कार्यवाहक चिकित्सा अधिकारी डा. राजपाल ने बताया कि घग्गर से सटे गांवों से काफी मरीज उनके अस्पताल में आते हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि घग्गर का पानी गंभीर तरीके से प्रदूषित हो चुका है। इसका उपयोग करने के कारण ही प्रभावित इलाकों के लोग बीमार पड़ रहे हैं। शीघ्र ही सेहत विभाग प्रभावित गांवों से पानी के नमूने लेने के साथ-साथ घग्गर के पानी के नमूने भी लेगा, जिसे जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के सदस्य सचिव बाबूराम ने घग्गर प्रभावित 32 गांवों के हालात से खुद को अनजान बताया और कहा,वह अपने स्तर से प्रभावित गांवों की जानकारी हासिल करेंगे और जो भी संभव होगा कार्रवाई करेंगे।
Thursday, February 3, 2011
पंजाब में जहरीली घग्गर बांट रही मौत
पंजाब में जीवनदायिनी रही घग्गर नदी आज लोगों को जानलेवा बीमारियां बांट रही है। प्रदूषण के चलते मैली हुई नदी के पानी का सेवन करने से किनारे बसे 32 गांवों में लोग विभिन्न रोगों की चपेट में हैं। घग्गर के जहरीले पानी ने किसी की लड़की और दामाद को निगल लिया तो किसी की नातिन अपाहिज पैदा हुई। बच्चे और बड़े मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग हो रहे हैं। पटियाला जिले के शुतराना विस क्षेत्र के अंतर्गत मरोड़ी समेत कई गांवों में हालात बेहद खराब हैं। मरोड़ी के सरपंच शेर सिंह के अनुसार, गांव की खेती घग्गर पर ज्यादा निर्भर है, लेकिन सैकड़ों छोटी-बड़ी फैक्टि्रयों का जहरीले पानी घग्गर में छोडे़ जाने से इसका सीधा प्रभाव नदी किनारे बसे गांवों पर पड़ रहा है। क्षेत्रवासी सुखजीत कौर ने बताया कि उसके चार में से तीन लड़के मंदबुद्धि हैं। पति भी भयंकर बीमारी का शिकार होकर इस दुनिया से चला गया। भान कौर कहती है, घग्गर के जहरीले पानी ने उसकी लड़की और दामाद को निगल लिया। नातिन भी अपाहिज पैदा हुई। सुरिंदर सिंह की आठ वर्षीय बेटी गुरप्रीत कौर, सुखविंदर सिंह की बारह वर्षीय लड़की चरनजीत कौर, वीर कौर की 20 वर्षीय लड़की गरुप्रीत कौर, मुख्तयार सिंह की 12 वर्षीय लड़की सुखविंदर कौर, सुरजीत सिंह का लड़का जसवंत सिंह, फूला राम का लड़का कर्म सिंह जन्म से ही मंदबुद्धि व विकलांग हैं। मरोड़ी गांव के मोटू ने बताया कि चार साल पहले उसने घग्गर नदी पार की थी। उसके बाद से ही उसका पैर सूखता जा रहा है। वह अपाहिज हो चुका है। एक निवासी दलेर सिंह का पैर चर्म रोग की चपेट में है। मांग सिंह के दोनों पैरों में सूजन निरंतर बढ़ती जा रही है। स्वर्ण सिंह के दोनों बेटे मेजर सिंह और गुरजंट सिंह मंदबुद्धि हैं। सूखा सिंह की पांच वर्षीय बेटी मनप्रीत के दोनों पांव जन्म से ही खराब हैं। इस गांव मे 50 से अधिक लोग विकलांग हैं। नाईवाला, सपरहेड़ी छन्ना, आसमानपुर, रतनहेड़ी, सौंधोवाला, मरदेड़ी, घरमेड़ी, गुरदयालपुरा, बादशाहपुर, जलालपुर, अरनेटू, करतारपुरा, मोपिया, शुतराना, रसोली, चिचड़वाला गांवों में भी ऐसे ही मरीज पाए जा रहे हैं। सरपंच शेर सिंह के मुताबिक, गत तीन सालों में उसके गांव के 50 से ज्यादा लोगों की कई बीमारियों से मौत हो चुकी है। गांव का हरेक व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीडि़त है। कोई शुगर, तो कोई चर्म रोग से ग्रस्त है। कैंसर के भी कई मरीज हैं, जो संभवतया घग्गर के जहरीले पानी की देन है। गांव में पैदा हो रहे अधिकतर बच्चे मंदबुद्धि और विकलांग हैं। समाना सिविल अस्पताल के कार्यवाहक चिकित्सा अधिकारी डा. राजपाल ने बताया कि घग्गर से सटे गांवों से काफी मरीज उनके अस्पताल में आते हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि घग्गर का पानी गंभीर तरीके से प्रदूषित हो चुका है। इसका उपयोग करने के कारण ही प्रभावित इलाकों के लोग बीमार पड़ रहे हैं। शीघ्र ही सेहत विभाग प्रभावित गांवों से पानी के नमूने लेने के साथ-साथ घग्गर के पानी के नमूने भी लेगा, जिसे जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के सदस्य सचिव बाबूराम ने घग्गर प्रभावित 32 गांवों के हालात से खुद को अनजान बताया और कहा,वह अपने स्तर से प्रभावित गांवों की जानकारी हासिल करेंगे और जो भी संभव होगा कार्रवाई करेंगे।
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