Saturday, February 19, 2011

हाथी दांत तस्करों के आगे लाचार वन विभाग


कोटद्वार उत्तराखंड में जिम कार्बेट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क के सटे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सक्रिय हाथी दांत तस्करों के आगे वन महकमा लाचार है। तस्करों का तंत्र इतना मजबूत है कि उनके पास बड़े पैमाने पर हाथी दांत होने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने की सूचना के बावजूद वन विभाग मन मसोसने के कुछ नहीं कर पाता। जिम कार्बेट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क के मध्य स्थित है लैंसडौन वन प्रभाग। इसका उपयोग हाथी दोनों राष्ट्रीय पार्को के मध्य बतौर कॉरीडोर प्रयोग करते हैं। दोनों ही राष्ट्रीय पार्को में हाथियों की तादाद काफी अधिक है। इस कारण इस पूरे क्षेत्र में हाथी दांत तस्कर सक्रिय हैं। उनका जाल देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी है। सूत्रों की मानें तो वन तस्करों का गिरोह दोनों पार्को से सटे क्षेत्रों में रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है। सूत्रों की मानें तो वर्तमान में भी इन तस्करों के पास हाथी दांत का बड़ा जखीरा है, जिसे कोटद्वार, दुगड्डा, लालढांग, बढ़ापुर, नजीबाबाद, काशीपुर क्षेत्रों में दफन किया गया है। मौका मिलते ही तस्कर दांतों को पार लगा देते हैं। ऐसा नहीं है कि वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता हो, कार्रवाई भी होती है। 2007-08 में लैंसडौन वन प्रभाग के अधिकारियों ने कोटद्वार के दो युवकों को हाथी दांत समेत गिरफ्तार किया था। पूछताछ व विभागीय जांच में कई नाम सामने आए थे। यह बात और है कि विभाग उन तक नहीं पहुंच पाया। सूत्रों की मानें तो दोनों राष्ट्रीय पार्को से सटे क्षेत्रों में हाथी दांत की मौजूदगी चार-पांच सालों से है। वन विभाग के अलावा वन्य जीव से जुड़ी विभिन्न राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को इसकी जानकारी है और सभी अपने-अपने तरीकों से हाथी दांत के इस जखीरे को निकालने के लिए प्रयास कर चुके हैं, लेकिन बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। सूत्रों की मानें तो तस्कर इस कदर शातिर हैं कि वे कई मर्तबा हाथी दांत खरीद के नाम पर दी जाने वाली पेशगी भी डकार चुके हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक वन अधिकारी ने बताया बिचौलिए को विश्र्वास में लेकर पेशगी दी जाती है, लेकिन कई बार बिचौलिए ही पेशगी की रकम डकार जाते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि तस्कर कभी भी हाथी दांत को एक स्थान पर नहीं रखते। जानकारों की मानें तो तस्कर थोड़े-थोड़े अंतराल में हाथी दांत का स्थान बदलते रहते हैं, ताकि इसकी भनक किसी को न लग पाए। कोटद्वार, लालढांग, दुगड्डा, बढ़ापुर, नजीबाबाद, काशीपुर, हरिद्वार में फैला हाथी दांत तस्करों का यह नेटवर्क पूरे भारत के अलावा नेपाल, चीन सहित अन्य देशों तक फैला हुआ है। लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी नरेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि दो राष्ट्रीय पार्को से सटे क्षेत्र में हाथी दांत तस्कर सक्रिय हैं, जिनके पास बड़ी मात्रा में हाथी दांत मौजूद हैं। इनकी बरामदगी को पिछले लंबे समय से प्रयास भी किए जा रहे हैं और भविष्य में भी जारी रहेंगे।

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