Monday, February 7, 2011

उत्तराखंड के जंगलों पर खतरा


खतरनाक वनस्पतियों की तिकड़ी का हमला
लैंटाना (कुर्री) के बाद अब बला (सीडाकार्डियो फोलिया), वासिंगा (गोगोस्टीमोन बैंगालीया) और वासुकि (एढाटोडा वासिका) जैसी वनस्पतियों न उत्तराखंड के जंगलों पर हमला बोला है। विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क इसके निशाने पर हैं। वन महकमा हैरान-परेशान है कि आखिर इस बला से कैसे निजात मिले। कोई युक्ति न सूझते देख महकमे की उम्मीद अब भारतीय वन्य जीव संस्थान पर जाकर टिक गई है। पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक लैंटाना जैसी वनस्पति कके हमले से उत्तराखंड के जंगल त्रस्त हैं। शायद ही कोई जंगल ऐसा होगा, जहां इसने पैर पसार पारिस्थितिकी के लिए खतरा पैदा न किया हो। कालाबांस व गाजरघास जैसी घातक वनस्पतियों ने भी मुसीबतें बढ़ाई हुई हैं। अब लैंटाना की तरह दूसरे पौधों को न पनपने देने वाली बला, वासिंगा व वासुकि जैसी वनस्पतियों ने सूबे के जंगलों पर हमला बोला है। हालांकि, पहले भी यह वनस्पतियां होती थीं, लेकिन अन्य के साथ। अब इनके पैचेज साफ दिखाई देने लगे हैं। कार्बेट में ढिकाला व झिरना और राजाजी में चीला, धौलखंड, कांसरो व रामगढ़ क्षेत्रों में खौफ की इस तिकड़ी की दस्तक अधिक देखने को मिली है। नतीजतन वन महकमे की पेशानी में बल पड़ गए हैं। वजह यह कि राजाजी में करीब 50 व कार्बेट में 45 फीसदी के आसपास हिस्से में लैंटाना का डेरा है और अब यह नई मुसीबत आ खड़ी हुई है। फिलहाल इससे निबटने का कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा। सो, विभाग ने भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) से मदद मांगी है। सूबे के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. श्रीकांत चंदोला के मुताबिक डब्ल्यूआइआइ से इस तिकड़ी का अध्ययन कराने को कहा गया है।


No comments:

Post a Comment