गंगा को प्रदूषणमुक्त करने की मुहिम वैज्ञानिकों के प्रयासों से परवान चढ़ती नजर आ रही है। वैज्ञानिकों ने शैवालों की दस हजार ऐसी प्रजातियों का पता लगाया है, जो गंगा में फैले विष का पान करेंगे। प्रयोगशाला में तैयार किए जा रहे ये शैवाल गंगा में रोपित किए जाएंगे। स्टेट फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री, करनाल और इलाहाबाद स्थित सैम हिंगिनबॉटम इंस्टीटयूट ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के स्कूल ऑफ फोरेंसिक साइंस के वैज्ञानिकों ने तीन वर्ष पूर्व गंगा में शैवालों पर एक शोध शुरू किया था। इस दौरान हरियाणा व उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से गंगा में मौजूद शैवालों की प्रजातियां जमा की गईं। हरियाणा में 60 व इलाहाबाद में 30 प्रजातियां मिलीं। देश के विभिAन हिस्सों से लिए गए गंगाजल के नमूनों में दस हजार से अधिक प्रजातियों के शैवाल पाए गए। परियोजना पर काम कर रहीं एसएफएसएल, करनाल की डॉ.वंदना विनायक व शियाट्स के असिस्टेंट प्रोफेसर मुनीष मिश्र के मुताबिक साफ और गंदे पानी में शैवालों की भिन्न-भिन्न प्रजातियां मिली हैं। इनसे गंगा में प्रदूषण के स्तर का पता भी लगा है। अब तक के शोध में सामने आया कि जलीय वातावरण में शैवाल की कुछ प्रजातियां प्रदूषण का संकेत देती हैं, जबकि कुछ इसे कम करने में मदद करती हैं। इन परिणामों के आधार पर साफ पानी में मिली प्रजातियों को प्रयोगशाला में तैयार किया जा रहा है, जिन्हें बाद में गंगा में रोपित किया जाएगा|
No comments:
Post a Comment