Monday, February 7, 2011

अभ्यारण्य में ही महफूज नहीं पंजाब का राजकीय पशु


एशिया के सबसे बड़ी अभ्यारण्य में ही पंजाब का राज्य पशु यानी हिरण सुरक्षित नहीं। 13 गांवों की 46513 एकड़ में फैली इस ओपन सेंचुरी (अभ्यारण्य) में हिरणों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम हो रही है। अत्याधुनिक हथियारों से लैस शिकारी खुले आम शिकार करते हैं, लेकिन उन पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है क्योंकि अभ्यारण्य की सुरक्षा दो गार्डो पर है, जिनके पास हथियार के नाम पर सिर्फ डंडा है। वन अधिकारियों के पास हथियार और वाहन खरीदने तक के लिए फंड नहीं है। सरकार ने जंगली जीवों खासकर हिरन की सुरक्षा के उद्देश्य से 1975 में इस अभ्यारण्य की स्थापना की थी, लेकिन संसाधनों की कमी और अफसरों की उदासीनता से इस अभ्यारण्य में ही जीव सुरक्षित नहीं हैं। अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के प्रांतीय उपप्रधान विपलेश भादू के अनुसार, 1998 में हुई गिनती के अनुसार, इस अभ्यारण्य में हिरणों की संख्या करीब 3500 थी जो लगातार कम हो रही है। इसके बाद जीवगणना नहीं कराई गई। पिछले आठ महीनों में यहां लगभग आधा दर्जन वन्यजीवों का शिकार हो चुका है। तमाम हिरण दुर्घटनाओं में घायल भी हुए हैं, जिनके उपचार की व्यवस्था तक नहीं है। उन्होंने कहा, अभ्यारण्य के जानवरों की हिफाजत के लिए वन्यजीव रक्षा विभाग में कम से कम दो इंस्पेक्टर, 20 गार्ड, हथियार, वाहन तथा अन्य अमला चाहिए, लेकिन हकीकत यह है कि यहां यह काम डंडाधारी दो गार्डो के कंधे पर है। उन्होंने कहा, बिश्नोई समुदाय व सभा के पदाधिकारी अभ्यारण्य में अपने स्तर पर ही वन्यजीव सुरक्षा का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन्यप्राणियों की दोबारा गणना से वन विभाग के कई रहस्य खुल सकते हैं। इस बारे में बात करने पर जीव रक्षा विभाग के स्थानीय प्रभारी कुलवंत सिंह का कहना है कि स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को लिखा गया है। वन्यजीव गणना के बारे में भी कई दफा अपील की गई है। 40 लाख अब तक नहीं मिले : पूर्व केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री मेनका गांधी ने अपने कार्यकाल में वन्यजीवों के उपचार की व्यवस्था के लिए 40 लाख की राशि मंजूर की थी, लेकिन वह धनराशि अभी तक जारी नहीं हो सकी। इसके संबंध में उन्होंने राज्य के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को पत्र भी लिखा है, जिसमें निजी जमीन मालिकों से जमीन खरीद कर हिरणों के लिए सुरक्षित स्थान बनाया जाए।


No comments:

Post a Comment