Thursday, February 3, 2011

पंजाब में बेजुबान जानवरों पर भी कहर ढा रही घग्गर


घग्गर किनारे इंसानी जिंदगी ही नहीं, वन्यजीवों का जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित है। पशु भी कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में हैं। उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। दुधारू पशुओं का दूध सूख रहा है। जहरीला पानी पीने से सैकड़ों जानवर दम तोड़ चुके हैं। पंजाब के पटियाला जिले में समाना- शुतराना इलाके में स्थित गुरदयाल बीड़ में जानवर लगातार कम हो रहे हैं। खास यह है कि बेजुबान जानवरों को बचाने के लिए आज तक किसी ने कोई कदम नहीं उठाया। स्थानीय निवासी गुरसेवक सिंह बताते हैं कि इस बीड़ में 20 साल पहले जंगली सुअर, हिरण, काला हिरण की दुर्लभ प्रजाति पाड़ा भी काफी संख्या में हुआ करती थी, जो धीरे-धीरे बीड़ से समाप्त होती जा रही है। पहले ये सभी जंगली जानवर अक्सर सड़कों पर झंुड में दिख पड़ते थे, लेकिन इन सभी जानवरों को इलाके को लोगों ने अरसे से नहीं देखा। इन पशुओं की संख्या बहुत कम रह गई है।क्षेत्रवासियों के अनुसार, घग्गर नदी का पानी पहले साफ-सुथरा था, जो धीरे-धीरे जहरीला होता गया। केमिकल फैक्टि्रयों के गंदे पानी को घग्गर में छोड़े जाने से नदी अब जहरीली हो गई है। पिछले पांच-छह वर्षो में हालात सबसे अधिक खराब हुए। घग्गर किनारे स्थित एक गांव मरोड़ी के सरपंच शेर सिंह बताते हैं कि उनके गांव में तो लोगों ने अब जानवरों को पालना ही बंद कर दिया है। जहरीले पानी से गांव के सैकड़ों जानवर दम तोड़ते जा रहे हैं। एक व्यक्ति शेर सिंह भी गुरदयालपुरा बीड़ से जंगली जानवरों की संख्या में निरंतर कमी की तरफ संकेत करते हैं। पशुपालन विभाग, समाना के सीनियर वेटरनरी अफसर डा. सुरजीत सिंह मक्कड़ ने घग्गर प्रभावित इलाकों में जहरीले पानी के प्रभाव से पशुओं के बीमार होने और मरने की पुष्टि करते हुए बताया कि यहां के पशुओं को कैंसर तक हो रहा है। जानवरों में उत्पादकता और प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो रही है। वन्यजीवों पर भी गंदे पानी का प्रभाव पड़ता है, क्योंकि बीड़ों में रह रहे जानवर पानी के लिए घग्गर पर ही निर्भर हैं। डीएफओ (वन्यजीव) एसके सागर ने यह तो जरूर माना कि गुरदयालपुरा बीड़ में पानी की कमी है, लेकिन घग्गर के पानी के जहरीला होने से उन्होंने अनभिज्ञता जताई। बीड़ में जानवरों की संख्या में आ रही कमी भी उन्होंने स्वीकार की। इसके कारणों पर उनका कहना था कि वह इसके बारे में जानकारी हासिल करेंगे।


No comments:

Post a Comment