फुकुशिमा परमाणु विद्युत संयंत्र से विकिरण के खतरों को देखते हुए अब 40 किलोमीटर इलाके को खाली कराया जाएगा। पहले 30 किलोमीटर दायरे से लोगों को हटाया गया था। इससे पहले जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान ने परमाणु संयंत्र को नष्ट करने की योजना का समर्थन किया। दूसरी ओर अमेरिका 140 सदस्यीय विकिरण नियंत्रक दल जापान भेजेगा। गुरुवार को टोक्यो पहुंचे फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने कहा कि उनका देश जापान को संकट से उबारने के लिए हर संभव मदद देगा। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि फ्रांस में होने वाली जी-आठ देशों के सम्मेलन के एजेंडे में यह मुद्दा अहम होगा। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय परमाुण ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) ने जापान को सलाह दी कि वह क्षतिग्रस्त फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टरों के आसपास के और भी इलाकों को खाली कराए। जापान की समाचार एजेंसी एनएचके के मुताबिक जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी वर्ष के अंत तक परमाणु संयंत्रों पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का एक खाका तैयार करने पर भी सहमत हुए हैं। दोनों नेता टोक्यो में आधे घंटे की बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। विश्व में परमाणु संयंत्र केंद्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या रखने वाले फ्रांस ने त्रासदी को नियंत्रण में करने के लिए अपने विशेषज्ञ और उपकरण देने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि संयंत्र से हो रहे विकिरण की मात्रा को मापने और रिएक्टरों को बंद करने के लिए वह अपने विशेषज्ञ भेजने के लिए तैयार है। नाओतो ने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जापान अपने अनुभव विश्व समुदाय से बांटने के लिए तैयार है। सरकोजी ने कहा कि विश्व में अभी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानक नहीं हैं, लेकिन वह वर्ष के अंत तक इस पर एक योजना तैयार देखना चाहते हैं। उन्होंने गत 11 मार्च की त्रासदी में मारे गए लोगों और पीडि़तों के लिए अपनी संवेदना प्रकट की। वेबसाइट बीबीसी डॉट को डॉट यूके के अनुसार अब तक संयंत्र के 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को वहां से हटाया गया है लेकिन आइएईए का कहना है कि सुरक्षित रेडियोधर्मी सीमाओं का दायरा बढ़ाकर 40 किलोमीटर कर दिया जाना चाहिए। इस बीच संयंत्र के पास समुद्र के जल में रेडियोधर्मी आयोडीन की मात्रा स्वीकृत सीमा से बढ़कर 4385 गुणा ज्यादा हो गई है। 11 मार्च के बाद से यह अब तक की सर्वाधिक रीडिंग है|
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