Saturday, April 9, 2011

उत्तराखंड के ग्लेशियरों की सेहत में सुधार


ग्लोबल वार्मिग के दौर में ग्लेशियरों की सेहत सुधर रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में स्नो कवर एरिया में दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। ग्लेशियरों को अनुकूल तापमान मिलने से उनके पिघलने की रफ्तार भी कुछ कम हुई है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के हिमनद (ग्लेशियर) विशेषज्ञों ने हाल ही में उत्तराखंड के ग्लेशियरों की सेहत का अध्ययन किया। मुख्य रूप से गंगोत्री, डुकरानी व चूराबारी ग्लेशियरों पर किया गया शोध पर्यावरण की सेहत सुधरने का संकेत दे रहा है। इन हिमनदों के करीब 189 वर्ग किमी के स्नो कवर (कैचमेंट एरिया) में एक से दो फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तराखंड के एक हजार छोटे-बड़े ग्लेशियरों के स्नो कवर एरिया भी लगभग इतना ही बढ़ा है। वाडिया संस्थान के वरिष्ठ हिमनद विशेषज्ञ डॉ. डीपी डोभाल का कहना है कि पिछले मानसून सीजन में जमकर हुई बारिश से स्नो कवर एरिया में यह वृद्धि पाई गई। यदि इस मानसून सत्र में भी पिछली साल की तरह ही अच्छी बारिश हुई तो कवर एरिया कम नहीं होगा। कैचमेंट एरिया प्लस में रहने से आसपास का तापमान भी पहले की अपेक्षा काफी गिर गया है। इससे ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार भी कुछ हद तक कम हुई है।
क्या है स्नो कवर एरिया : हिमनदों के आसपास का जो भी एरिया बर्फ से ढका होता है, उसे स्नो कवर एरिया कहते हैं। इसके पिघलने की रफ्तार ग्लेशियर से कहीं अधिक होती है, लेकिन जब तक इसमें बर्फ होती है ग्लेशियर कम रफ्तार से पिघलते हैं।
कुछ ग्लेशियर व कैचमेंट एरिया : गंगोत्री- लंबाई 30 किमी, चौड़ाई पांच किमी व कवर एरिया 147 वर्ग किमी, चूराबारी-लंबाई 06 किमी, मोटाई 65 मीटर, कवर एरिया 27 वर्ग किमी, डुकरानी- लंबाई 5.5 किमी, मोटाई 15-120 मीटर व कवर एरिया 15 वर्ग किमी

महत्वपूर्ण तथ्य : उत्तराखंड में एक हजार हिमनद हैं। इनकी लंबाई एक किमी से 30 किमी के बीच है। एक हिमनद का स्नो कवर एरिया कुल भाग केकरीब 10 फीसदी होती है।


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