Saturday, April 16, 2011

झारखंड में जी का जंजाल बना जैविक कचरा


अस्पतालों का खतरनाक जैविक कचरा झारखंड शासन के लिए जी का जंजाल बन गया है। जैविक कचरे के निष्पादन के लिए राज्य में पांच कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) का निर्माण होना है। इसे ही लेकर शासन में असमंजस बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर झारखंड में पांच सीबीडब्ल्यूटीएफ बनाए जाने हैं। निजी भागीदारी से बनने वाले इस प्लांटों के लिए कुछ कंपनियों ने आवेदन भी दे रखा है। इसके लिए दो बार निविदा निकाली जा चुकी है, लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आया। हाल ही में निकाली गई निविदा में एक कंपनी ने कम रेट कोट किया, जिसके कारण राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड असमंजस में है। नियमत: सबसे कम रेट कोट करने वाले के पक्ष में निविदा दी की जाती है। एक करोड़ की लागत वाले इन प्लांट में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 50 फीसदी अनुदान होने के कारण बोर्ड सतर्कता बरत रहा है। इस बारे में फैसला लेने के लिए बोर्ड की बैठक होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, धनबाद और जमशेदपुर में दो प्लांट बनकर तैयार हैं लेकिन मानकों के अनुरूप न होने के कारण बोर्ड इन्हें मंजूरी नहीं दे रहा है। निजी भागीदारी से बनने वाले प्लांट बीआओ (बिल्ड, ऑपरेट एंड ओन) पर आधारित होंगे। दस हजार बेड पर एक प्लांट : केंद्रीय बोर्ड के निर्देशानुसार विभिन्न अस्पतालों और निजी नर्सिंग होम के दस हजार बेड अथवा 150 वर्ग किमी में एक सीबीडब्ल्यूटीएफ की स्थापना की जानी है। इस लिहाज से राज्य में कम से कम पांच प्लांट की आवश्यकता है। निजी कंपनियां प्रति बेड अस्पतालों से 3 रुपये की दर से अपशिष्ट निस्तारण का शुल्क वसूलेंगी। वे प्रति बेड एक रुपया परिवहन के मद में भी लेंगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सीआर सहाय ने कहा कि जैविक अपशिष्ट के निस्तारण को कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना के लिए टेंडर निकाला गया है। बैठक में टेंडर पर निर्णय लिया जाएगा|

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