Wednesday, April 13, 2011

चेर्नोबेल जितना खतरनाक जापान का परमाणु संकट


जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में विकिरण का स्तर अब तक के सबसे खतरनाक परमाणु हादसे चेर्नोबेल के बराबर पहंुच चुका है। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में मंगलवार को इमरजेंसी का स्तर बढ़ाकर लेवल-7 कर दिया गया। यही स्तर 1986 में यूक्रेन के चेर्नोबेल के परमाणु हादसे के समय नियत किया गया था। हालांकि परमाणु विशेषज्ञों ने कहा है कि हम विकिरण की मात्रा का सही आकलन करने के बाद ही खतरे के वास्तविक स्तर के बारे में बता पाएंगे। जापान की परमाणु सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता हिदेहिको निशियामा ने कहा, चेर्नोबेल परमाणु दुर्घटना और फुकुशिमा के हालात में काफी अंतर है। चेर्नोबेल रिएक्टर फट गया था और उसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। उसमें विकिरण के रिसाव की वजह रिएक्टर में धमाका था। हालांकि फुकुशिमा में भी रिएक्टर की इमारत की छत धमाके में गिर गई थी, लेकिन रिसाव के बावजूद एक भी रिएक्टर ध्वस्त नहीं हुआ। फुकुशिमा में चेर्नोबेल के मुकाबले केवल दस प्रतिशत ही रिसाव हुआ है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पैमाने के हिसाब से फुकुशिमा में अभी लेवल पांच की इमरजेंसी है, मगर सुरक्षा की दृष्टि से इसे लेवल-7 कर दिया गया है। अभी तक हम यह नहीं पता लगा पाए हैं कि रिसाव कितना हो रहा है। सोमवार को जापान के परमाणु आयोग ने कहा था कि फुकुशिमा में अब प्रति घंटा दस हजार टेराबेक्वेल्स (विकरण की रफ्तार मापने इकाई) रेडियोधर्मी पदार्थ, आयोडीन-131 रिस रहा है। मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो इदानो के अनुसार, विकिरण के चलते अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन फुकुशिमा रिएक्टर में इस संकट से जूझने वाले 21 कर्मियों में विकिरण के कुछ लक्षण देखे गए हैं। जापान में मंगलवार को आए 6.3 के भूकंप के बाद फुकुशिमा के बंद पड़े रिएक्टर नंबर चार में धमाका हुआ। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इंजीनियर इस पर काबू पाने में लगे हैं। भूकंप के बाद नारिता एयरपोर्ट के रनवे को भी बंद कर दिया गया|

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