प्रकृति के सफाईकर्मियों अर्थात गिद्धों के अस्तित्व पर छाए संकट के बादल धीरे-धीरे छंटने लगे हैं। बदलाव की यह बयार राजाजी नेशनल पार्क में साफ देखी जा सकती है। देशभर में मिलने वाली गिद्धों की नौ प्रजातियों में पांच की राजाजी में मौजूदगी है और वह भी ठीकठाक संख्या में। और तो और इस मर्तबा तो हिमालयी गिद्ध भी वहां अभी तक अच्छी-खासी तादाद में डेरा डाले हुए हैं। इसे पार्क में सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में देखा जा रहा है। देशभर में एक-डेढ़ दशक पहले गिद्ध दिखाई देना ही बंद हो गए थे और उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं था। चिंता का विषय बने इस मसले की पड़ताल हुई तो पता चला कि मवेशियों को दी जाने वाली डाइक्लोरोफिनैल नामक दवा, खेती में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग और गड़बड़ाता पारिस्थितिकी तंत्र इसकी मुख्य वजह है। खैर, अब स्थितियां बदली हैं और गिद्धों की अच्छी खासी संख्या दिखाई पड़ने लगी है। देश में पाई जाने वाली गिद्धों की नौ प्रजातियों में से पांच का दीदार तो राजाजी पार्क में हो रहा है। हिमालयन गिद्ध तो अभी तक यहां मौजूद है। राजाजी नेशनल पार्क में गिद्धों की बढ़ती तादाद से वन्यजीव विशेषज्ञों और पार्क प्रशासन की खुशी का ठिकाना नहीं है। वन्यजीव विशेषज्ञ डा.रितेश जोशी के अनुसार, राजाजी पार्क में गिद्धों की अच्छी तादाद वहां पारिस्थितिकीय तंत्र की सेहत सुदृढ़ होने का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि पार्क में कार्नीबोर व हर्बीबोर दोनों की संख्या ठीक है और गिद्धों को पर्याप्त भोजन मिल रहा है। पार्क के निदेशक एसएस रसाईली के मुताबिक पार्क प्रशासन की ओर से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने का ही नतीजा है कि वहां गिद्धों की अच्छी संख्या देखने को मिल रही है। देश में गिद्धों की प्रजातियां : किंग वल्चर, लांग बिल्ड वल्चर, इंडियन व्हाइट बैक्ड, स्कैवेंजर, हिमालयन ग्रीफॉर्न, यूरेशियन, सिनेरियस, सिलेंडर बिल व लैमर गियर राजाजी पार्क में मौजूद प्रजातियां : किंग वल्चर, लांग बिल्ड वल्चर, इंडियन व्हाइट बैक्ड, स्कैवेंजर, हिमालयन ग्रीफॉर्न इन पर है ज्यादा संकट : बर्ड लाइफ इंटरनेशनल संस्था के मुताबिक किंग वल्चर, लांग बिल्ड वल्चर, इंडियन व्हाइट बैक्ड प्रजातियों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त घोषित किया है। स्कैवेंजर नामक गिद्ध को संकटग्रस्त घोषित किया गया है|
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