Friday, April 1, 2011

उत्तराखंड में वनसंपदा-जीवों की रखवाली खाली हाथ


उत्तराखंड के कुल क्षेत्रफल में से पैंसठ फीसदी में वन खड़े हैं। इसमें फैला है, लाखों पेड़ों और वन्य जीवों के रूप में खुला खजाना। इस पर हर तरफ से हमले हो रहे हैं, लेकिन इसकी रखवाली करने वालों के पास शस्त्रों का अभाव है। उत्तराखंड वन विभाग के पास 24414.804 वर्ग किमी वन क्षेत्र है, लेकिन इसके रखवालों के पास वन संपदा और वन्यजीवों की रक्षा के लिए पर्याप्त हथियार ही नहीं है। विभाग में उपलब्ध आग्नेयास्त्रों पर नजर डालें तो इनकी संख्या महज 1140 है, जबकि विभाग में फॉरेस्ट गार्ड की संख्या 2629, रेंजर, डिप्टी रेंजर व फॉरेस्टर 1818 हैं। सूबे में विभाग के 13 वृत्तों में से चार के पास तो एक भी हथियार नहीं है, जबकि दो-तीन वृत्तों में यह संख्या नगण्य है। हालांकि, राष्ट्रीय पाकरें और अभ्यारण्य क्षेत्रों में आग्नेयास्त्रों के लिहाज से स्थिति संतोषजनक है, लेकिन बाकी आरक्षित क्षेत्रों में नाजुक। यह हाल तब है, जब सूबे के वन्य जीवों पर अंतरराष्ट्रीय माफिया की भी नजरें गड़ी हैं। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा के मद्देनजर समय-समय पर लंबे-चौड़े दावे भले ही किए जाते हों, लेकिन हकीकत यह है कि कर्मचारियों को अस्त्र-शस्त्रों से लैस करने के मामले में गौर करना न विभाग को गवारा हो रहा है, न सरकार को ही। ऐसे में सुरक्षा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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