'ग्लोबल वार्मिग' विषय पर भारत के साथ विश्व के प्रमुख मीडिया में अब तक प्रकाशित तथ्यों और सिद्धांतों का अध्ययन करने पर लगता है कि काल्पनिक तथ्यों के आधार पर विशेषज्ञों द्वारा निर्मित ईश्वरीय अस्तित्व और तर्कहीन तथ्यों के आधार पर ग्लोबल वार्मिग के मुद्दे पर वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्त विचारों में कोई फर्क नहीं है। क्या अब वैज्ञानिक भी अपनी असफलता को छिपाने के लिए कथित धार्मिक गुरुओं की तरह विज्ञान में भी पाखंडता से जुड़े प्रयोग करने लगे हैं? क्या वैज्ञानिकों के पास इन प्रश्नों के सही उत्तर हैं? 1. यदि पृथ्वी के बाहरी सतह से तकरीबन 78.084 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20.946 प्रतिशत ऑक्सीजन और मात्र .95 प्रतिशत बाकी तत्व हैं तो .95 प्रतिशत के भीतर का कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा कम-ज्यादा होने मात्र के कारण पृथ्वी का तापमान इतना ज्यादा ऊपर-नीचे कैसे हो सकता है? 2. तत्व की उत्पत्ति के खगोलीय सिद्धांत क्या-क्या हैं? क्या तत्व की उत्पत्ति के सिद्धांत क्या-क्या है? क्या तत्व की उत्पत्ति के सिद्धांत के अभाव के अभाव में प्रकाश और ताप का संचय और प्रसारण करने वाले तत्वों के बारे में निर्णायक तथ्य कैसे दिया जा सकता है? 3. कहीं ऐसा तो नहीं कि पृथ्वी सूर्य से दूर और बृहस्पति के साथ-साथ प्रति-सूर्य व अंध- छेद के नजदीक जाने के कारण खुद धरती का तापमान ज्यादा ऊपर-नीचे हो रहा हो। 4. कहीं वैज्ञानिकों के पास सूर्य, प्रति-सूर्य व अंध-छेद और बृहस्पति के साथ-साथ प्रकाश, अन्धकार, ताप और शीत की वास्तविक परिभाषाओं के साथ-साथ सौर मण्डल के हरेक सदस्य की दिशा और गति के बारे में आज तक प्राप्त जानकारियां गलत तो नहीं? यदि वैज्ञानिकों के पास ऊपर छपे प्रश्नों के सही उत्तर नहीं हैं तो यहां नये खगोलीय सिद्धान्त का जन्म हो चुका है, वै ज्ञानिक के साथ ग्लोबल वार्मिग के विषय में सोचने वाले हरेक मानव जानें कि सौर-मण्डल, सूर्य, प्रति-सूर्य व अन्ध-छेद, बृहस्पति के साथ-साथ इस सौर-मण्डल के हरेक पिण्ड, तत्व की उत्पत्ति के सिद्धान्त के अनुसार इस पृथ्वी का प्रथम तत्व हाइड्रोजन से लेकर अन्तिम तत्वों की उत्पत्ति कैसे हो रहा है, प्रकाश और अन्धाकाश की परिभाषा के साथ- साथ ताप और शीत की परिभाषा के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिग के कारण को कैसे परिभाषित किया जाता है। 1. ''अन्ध-पदार्थ और प्रति पदार्थ मिलकर बने हुए पृथ्वी के द्वंद्वात्मक पदार्थ व दृश्यमय भौतिक विश्व के तत्वों में अन्ध-पदार्थ की मात्रा घटने और प्रति-पदार्थ की मात्रा बढ़ने के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।'
पृथ्वी के तत्वों की उत्पत्ति के सिद्धान्त के साथ- साथ प्रकाश और अन्धेरा, ताप और शीत की वास्तविक परिभाषा के अभाव के कारण वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिग के विषय में भ्रम में पड़ गये हैं। समय, आकाश, प्रत्याकाश और अन्धाकाश की वास्तविक परिभाषा से तो वैज्ञानिक अब भी काफी दूर हैं। हम तीन भिन्न-भिन्न पदार्थ, तीन भिन्न-भिन्न प्रकाश और तीन भिन्न-भिन्न आकाश की वास्तविक परिभाषा के साथ ग्लोबल वार्मिक के कारणों की व्याख्या कर रहे हैं और इस समझ की स्पष्टता के लिए, हम हरेक बिन्दु में प्रश्न उठाने में समझ उपयुक्त प्रश्नकर्ताओं का स्वागत करते हैं। 2. पृथ्वी का तापमान बढ़ने का कारण इसकी बाहरी वातावरण में .95 प्रतिशत के भीतर का कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा ज्यादा होने से न होकर पृथ्वी की बहिमरुखी गति के अनुसार यह पृथ्वी, सूर्य से दूर और मंगल एवं बृहस्पति के क्षेत्र में प्रवेश करने वाली है, जिसके कारण नाइट्रोजन की मात्रा घटने और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने की प्रक्रिया चल रही है। नाइट्रोजन शीत पैदा करने वाला तत्व है तो आक्सीजन ऊष्ण पैदा करने वाला तत्व है। इस सौर मण्डल में पृथ्वी का जो स्थान है, उसके अनुसार पृथ्वी की बाहरी और भीतरी वातावरण में ताप की उत्पत्ति प्रकाश के साथ ऑक्सीजन मिलने से होती है। परन्तु, ताप की उत्पत्ति का यह नियम हरेक पिण्ड लागू नहीं होता है।
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