कथित सुपरबग को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली सरकार ने बुधवार को इसे विषय पर विशेषज्ञों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। विशेषज्ञों ने एक सुर में कहा है कि हैजे और अन्य आंत्रशोथ के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के प्रति दवा प्रतिरोध क्षमता में वृद्धि का कोई सबूत नहीं है। ऐसे बैक्टीरिया अब भी आम रूप से इस्तेमाल की जा रही एंटीबॉयटिक से काबू में आ रहे हैं। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने समाचार-पत्रों में प्रकाशित की गई लेंसेट रिपोर्ट की समीक्षा को लेकर बैठक की थी। इस रिपोर्ट में कथित रूप से यह बताया गया है कि दिल्ली में पीने के पानी के लिए गए नमूनों में हैजे और आंत्रशोथ के बैक्टीरिया में एनडीएम-1 जीन मौजूद है। मुख्यमंत्री ने इस विषय पर मौलाना आजाद मेडिकल कालेज, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य निदेशालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और दिल्ली जल बोर्ड के विशेषज्ञों से चर्चा की। विशेषज्ञों के अनुसार एनडीएम-1 बेक्टीरिया होने का कोई क्लीनिकल और महामारी विज्ञान के अनुरूप सबूत नहीं है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के विशेषज्ञ दिल्ली में अस्पतालों में दाखिल हैजे के मरीजों से लिए गए हैजे के बेक्टीरिया अंशों की दवा प्रतिरोधक क्षमता की प्रवृत्ति पर पिछले कई वषरें से निगाह रखे हुए हैं। उन्होंने किसी भी नमूने में कारबापेनेम प्रतिरोधक की मौजूदगी नहीं पाई। विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा किया जा रहा क्लोरिनीकरण एनडीएम-1 युक्त बेक्टीरिया समेत बेक्टीरिया को खत्म करने में पर्याप्त है। इसलिए लैंसेट रिपोर्ट के मद्देनजर चिंता कोई आधार नहीं बनता। मुख्यमंत्री ने लोगों को सलाह दी कि जहां दिल्ली जल बोर्ड का पानी उपलब्ध नहीं है, वहां क्लोरिन की गोलियों का इस्तेमाल करें या पीने के पानी को उबालकर पीएं। बैठक में निदेशक राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र डा. डी. चट्टोपध्याय, इस केंद्र के माइक्रोबाइलॉजी विभाग के अपर निदेशक डा. सुनील गुप्ता, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के डीन डा. ए.के. अग्रवाल, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक डा. वी.एन. कामत, परामर्शदाता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रमुख डा. आर.पी. वशिष्ठ आदि उपस्थित थे|
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