दिल्ली में प्लास्टिक थैलियों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्ली मंत्रिमंडल में आए इस प्रस्ताव को एक मत से मंजूर कर लिया गया है। प्रतिबंध प्लास्टिक थैलियों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर लगाया गया है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि दिल्ली प्लास्टिक मुक्त राज्य बनने को तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने के लिए दिल्ली नगर निगम, एनडीएमसी और दिल्ली पुलिस को निर्देश जारी किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले जो कदम उठाए गए थे, वे नाकाफी थे। इसलिए सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। अभी तय नहीं हुआ है कि सीमित स्थानों पर कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार ने जनवरी, 2009 में जो फैसले लिए थे, वे लागू रहेंगे या नहीं। सरकार ने यह भी फैसला किया है कि मौजूदा, दिल्ली डिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल और कचरा नियंत्रण कानून-2000 और इससे संबंधित नियमों और अधिसूचना को रद किया जाएगा। राजधानी में हर प्रकार की प्लास्टिक थैलियों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत नई अधिसूचना जारी की जाएगी। नए प्रतिबंध से प्लास्टिक की थैलियों के उत्पादन पर भी रोक लग जाएगी। सरकार ने कहा कि इससे पूर्व 7 जनवरी, 2009 को जारी अधिसूचना बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल तक सीमित थी। मंत्रिमंडल ने नियम को और सख्त करते हुए प्लास्टिक के उपयोग करने वालों के खिलाफ 10,000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त पांच वर्ष सजा का भी प्रावधान है। लेकिन यह नियम भी कागजों तक ही रहे। पिछले दो वर्षो के दौरान सख्त सजा किसी को भी नहीं दी गई। सरकार ने माना कि प्रतिबंध के बाद भी बाजारों में बिक्री करने वाले अब भी प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मूल कानून 2008 में संशोधित कर प्लास्टिक थैलियों की मोटाई 20 माइक्रोन से बढ़ाकर सभी उत्पादकों के लिए 40 माइक्रोन कर दी गई थी|
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