विनाशकारी भूकंप और भयावह सुनामी में क्षतिग्रस्त हुए जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से दो कर्मचारियों के शव मिले हैं, जबकि रेडियोधर्मी पदार्थो युक्त पानी को समुद्र में मिलने से रोकने के प्रयास जारी हैं। बताया जा रहा है कि दोनों कर्मियों की मौत 11 मार्च को आई सुनामी से हुई थी, लेकिन सवाल बना हुआ है? दूसरी ओर संयंत्र में आई दरार को पाटने के लिए पॉलीमर का इस्तेमाल किया जा रहा है। वेबसाइट बीबीसी डॉट को डॉट यूके के मुताबिक टोक्यो इलेक्टि्रक पॉवर कंपनी (टेप्को) ने कहा कि संयंत्र के दो लापता कर्मचारियों के शव रिएक्टर संख्या चार की टर्बाइन इमारत के भूतल में मिले हैं। इन कर्मचारियों के नाम काजूहिको कोकूबो और योशिहिकी तेराशिमा हैं। समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार इनकी मौत सिर चोट लगने से हुई। ये दोनों शव बुधवार को मिले। दूसरी ओर जापान सरकार और फुकुशिमा के क्षतिग्रस्त परमाणु संयंत्र की संचालक कंपनी ने संयंत्र के 20 किलोमीटर के दायरे की हवा में रेडियोधर्मी पदार्थो के स्तर का आकलन करना प्रारंभ कर दिया है। प्रधानमंत्री के सलाहकार ने कहा कि संयंत्र से रेडियोधर्मी पदार्थो का रिसाव रोकने के लिए सभी संभव उपाय किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि कुछ महीनों में रिसाव पूरी तरह रोक लिया जाएगा। जापान की समाचार एजेंसी एनएचके के मुताबिक जापान सरकार और टेप्को संयंत्र के आसपास के 20 किलोमीटर के दायरे में पहले से ही हवा में फैले रेडियोधर्मी पदार्थो की मात्रा माप रही हैं, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई विस्तृत आकलन नहीं किया गया है। इस इलाके में रहने वाले सभी लोगों को हटाया जा चुका है। जापान और अमेरिकी के परमाणु विशेषज्ञों की बैठक में अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा कि वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों के फैलने का स्तर जानने के लिए और ज्यादा परीक्षणों की आवश्यकता है। बैठक के बाद जापान सरकार और टेप्को ने खाली कराए जा चुके इलाके के 30 स्थानों पर हवा में रेडियाधर्मी पदार्थो का स्तर जानने के लिए विस्तृत अध्ययन शुरू कर दिया। अब तक मिले परिणामों के मुताबिक हवा में प्रति घंटा एक माइक्रोसीवर्ट से कम से लेकर 50 माइक्रोसीवर्ट तक का रेडियोधर्मी विकिरण पाया गया है। जापान में 11 मार्च को आए रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता के भूकंप और सुनामी लहरों से मरने वाले लोगों की सख्या 12,000 से ज्यादा हो गई है और 15,500 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान के सलाहकार घोषी होसोनो ने रविवार को पत्रकारों से कहा कि क्षतिग्रस्त संयंत्र से रेडियोधर्मी पदार्थो से युक्त पानी का समुद्र के पानी में रिसाव बेहद गंभीर बात है और सरकार इसे रोकने के लिए सभी संभव उपाए करेगी। होसोनो ने कहा कि इस रिसाव के असर की जांच करना जरूरी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस जांच के परिणाम जल्दी ही सार्वजनिक किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि रिएक्टर संख्या दो के निचले तल पर जमा पानी को जल्द से जल्द हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों की सबसे बड़ी चिंता संयंत्र से हो रहे रेडियोधर्मी पदार्थो के रिसाव को रोकने की है। उन्होंने कहा संयंत्र में संकट अभी भी जारी है, लेकिन हालात अब स्थिर हैं। दूसरी ओर जी-7 संगठन में शामिल विकसित देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर अगले सप्ताह जापान त्रासदी से हुए नुकसान से इस देश को उबारने के उपायों पर चर्चा करेंगे। यह बैठक 14 अप्रैल को वॉशिंगटन में होगी। जापान में भूकंप की त्रासदी होने के बाद से जी-7 की यह पहली बैठक होगी। इससे पहले 18 मार्च को विकसित देशों के वित्त मंत्रियों ने जापान की मदद के लिए इसकी मुद्रा येन में मजबूती रोकने के लिए मौद्रिक हस्तक्षेप करने का फैसला किया था। जापान त्रासदी से विश्वभर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। अमेरिका और अन्य देशों में कई संयंत्रों में उत्पादन स्थगित करना पड़ा है, क्योंकि जापान से उपकरणों की आपूर्ति बंद हो गई है|
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